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________________ ( २४६ ) एक समय श्री महावीर स्वामी का पदार्पण हुआ परिषद् भगवान को वंदन करने के लिए नगर में से बाहर निकली यावत् भगवान की सेवा करने लगी। उस काल उस समय राजी नाम की देवी चमरचंचा राजधानी से भगवान को वंदनार्थ पायी । नाट्यविधि दिखाकर वापस अपने स्थान गयी । - .१८ शुंभा-- तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे । गुणसिलए चेइए । सामी समोसढे । परिसा निग्गया जाव पज्जुवासइ ॥४॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं सुंभादेवी बलिचंचाए रायहाणीए सुंभवडेंसए भवणे सुंभंसि सीहासणंसि विहरइ। काली गमएणं जाव नट्टविहिं उवदंसेत्ता पडिगया ॥५॥ -नाया० श्रु २/व २/अ १ उस काल उस समय में राजगृह नगर था। उसके बाहर गुणशील नामक चैत्य था। एक दिन श्री महावीर स्वामी पधारे। परिषद् भगवान को वंदनार्थ गयो। भगवान की पर्युपासना करने लगी। __ उस काल उस समय में शुभा नामकी देवी बलिचंचा नाम की राजधानी में शुभावतंसक नामक भवन में शंभा नामक सिंहासन पर बैठी हुई थी। भगवान महावीर को वंदनार्थ आयी थी । नाट्यविधि दिखाकर वापस चली गयी। .१९ इला देवी तेणं कालेणं तेणं समएण रायगिहे नयरे गुणसिलए चेहए सामी समोसढे परिसा निग्गया जाव पज्जुवासइ ॥४॥ तेण कालेण तेण समएणं अलादेवी धरणाए रायहाणीए अलावडेंसए भवणे अलंसि सीहासण सि एवं कालीगमएणं जाव नट्टविहिं उवदंसेत्ता पडिगया॥५॥ -नाया० अ २/व ३/अ १ ___ उस काल उस समय में इला नाम की देवी धरणी नाम की राजधानी में इलावतंसक नामक भवन में इला नाम के सिंहासन पर बैठी थी। काली देवी की तरह भगवान को वंदनार्थ आयी थी । नाट्यविधि दिखाकर वापस गयी। .२० कमलादेवी-पिशाचकुमारेन्द्र की अग्रमहिषी तेण कालेण तेण समएण रायगिहे समोसरण जाव परिसा पज्जुवासा ॥४॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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