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________________ ( २३६ (झ) ज्योतिषी देव-शुक्र महाग्रह का - 1 रायगिहे नयरे । गुणसिलए चेहए । सेणिए राया । सामी समोसढे । परिसानिग्गया । तेणं कालेणं तेण समर्पण सुक्के महग्गहे सुक्क डिसप विमा सुकसि सीहासणसि चउहिं सामाणिय साहस्सीहिं जहेव चंदो तहेब आगओ नट्टविहि उवदसित्ता पडिगओ । > - निर० व ३ / अ ३ / पृ ३७ गुणशिलक नामका चैत्य था । उस काल उस समय में राजगृह नामका नगर था । उस नगरी में श्रेणिक नाम के राजा थे । वहाँ भगवान् महावीर पधारे । उस काल उस समय में शुक्र नहाग्रह शुक्रावतंसक विमान में शुक्र सिंहासन पर चार हजार सामानिक देवों के साथ बैठे हुए थे । वह शुक्र महाग्रह चंद्रग्रह के समान भगवान के पास आये । और नाट्य-विधि दिखाकर वैसे ही चले गये । (ञ) सौधर्मदेवलोक से - बहुपुत्रिका देवी तेण' कालेण ं तेण समरण रायगिहे नाम नयरे । गुणसिलए चेइए । सेणिए राया । सामी समोसढे । परिसा निग्गया । तेणं कालेणं तेणं समपण बहुपुत्तिया देवी सोहम्मे कप्पे बहुपुत्तिए विमाणे सभाए सुहम्माए सुहम्माए बहुपुत्तियंसि सीहासणंसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं चउहिं महत्तरियाहि । जहा सुरियाभे जाब भुजमाणी विहरण, इमं च ण केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं विउलेण ओहिण्णा आभोपमाणी २ पास पासइत्ता समण भगवं महावीरं जहा सुरियाभो जाव नमसित्ता सीहा सणवदसि पुरत्याभिमुहा संनिसण्णा | अभिओगा जहासुरियाभस्स, सुसरा घंटा, अभियोगियं देवं सहावेइ । जाणविमाण जोयणसहस्सवित्थिण्ण' । जाणविणवणओ। जाव उत्तरिल्लेणं निजामग्गेणं जोयणसाहस्सिएहिंचिंग्गहेहिं आगया जहा सुरियाभे । धम्मक हा सम्मत्ता । Jain Education International तणसा बहुपुत्तिया देवी दाहिणं भुयं पसारेह २ देवकुमाराण अट्ठसय, देवकुमारियाण' य वामाओ भुयाओ अडलयं, तयाणंतरं य बहवे दारगा य दरियाओ य डिम्भए य डिम्भयाओ य बिउव्वर नहबिहि, जहा सुरियाभो, उवसित्ता पडिगए । For Private & Personal Use Only - निर व ३/२४ / पृ ४६ www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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