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________________ ( २३४ ) (च) श्रावस्ती में शक्रेन्द्र का आगमन ततः श्रावस्ती गतो भगवान् , तत्र स्कन्दप्रतिमालोकेन पूज्यमानां शक्रोऽ चलोक्यतांप्रतिमामनुप्रविश्य भगवंतं वंदितवान् । -आव• निगा ५१५---मलय टीका शक्रेणाधिष्ठिता स्कंदप्रतिमा प्रतिमास्थितम् । भगवंतं प्रत्यचाली यंत्रपांचालिकेव सा॥ -त्रिशलाका० पर्व १०/सर्ग ४/श्लो ३३४ जब भगवान् श्वेताम्बिका नगरी से विहार कर श्रावस्ती नगरी पधारे उस समय शकेन्द्र ने देखा कि लोग स्कंद प्रतिमा की पूजा कर रहे हैं तब वह आया। और प्रतिमा में प्रवेश कर भगवान को वंदना की। (छ) केवलज्ञान-केवलदर्शन की उत्पत्ति के अवसर पर जण्णं दिवसं समणस्स भगवओ महावीरस्स णिव्वाणे कसिणे पडिपुण्णे अव्वाहएणिरावरणे अणते अणुत्तरे केवलवरणाणदंसणे समुप्पण्णे तण्णं दिघसं भवणवइ-वाणमंतर-जोइसिय-विमाणवासिदेवेहिय देवीहिय ओवयं तेहिय उप्पयं तेहिय एगे महं दिव्वे देवुजोए देव-सण्णिवाते देव-कहकहे उप्पिंजलगभूए याषि होत्था। -आया० अ २/अ १५/सू ४०/पृ० २४१ जिस दिन श्रमण भगवान महावीर को जम्भिक ग्राम में केवल ज्ञान-केवल दर्शन समुत्पन्न हुआ--उस समय-दिन अर्थात कार्तिक कृष्णा अमावस्या को भवनपति, बाणव्यंतर, ज्योतिषी व वैमानिक देवों-देवियों का आगमन हुआ। (छ) ज्योतिषी देव का इन्द्र-चन्ददेव का तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे। गुणसिलए चेइए । सेणिए राया। तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे परिसा निग्गया। तेणं कालेणं तेणं समएणं चंदे जोइसिन्दे जोइसराया चंदवडिसए घिमाणे सभाए सुहम्माए. चंदसि सीहासणंसि चउहि सामाणिय साहस्सीहिं जाव विहरइ । इमंचणं केवलकप्पं जम्बुद्दीवंदीवं विउलेणं ओहिणा आभोएमाणे २ पासइ पासइत्ता समणं भगवं महावीरं जहा सूरियाभे अभिओगे देवे सहावेत्ता जाव सुरिन्दाभिगमणजोग्गं करेत्ता तमाणत्तिय पञ्चप्पिणन्ति । सूसरा घंटा, जाव विउवणा। नवर जाणविमाणं जोयण सहस्सवित्थिण्णं अद्धतेवहिजोयणसमूसियं महिन्दिमओ पणुवीसं जोयणमूसिओ, सेसं जहा सूरियाभस्स जाव आगओ। नट्टविही तहेव पडिगओ। -निर० व ३/अ १/पृ. ३४, ३५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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