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________________ ( १६५ ) '११ तेण कालेन तेण समपण अहं गोयमा । सेणिए वि निग्गए । समोसढे । परिसा निग्गया । - नाया० श्रु १ / अ १३ / सू. ६ 1 तर 'sहं रायगिहाओ पडिनिक्खते बहिया जणवयविहारेण विहरामि - नाया• श्रु १/अ १३ / सू १२ राजगृह नगर के गुणशिलक चेत्य में भगवान् का पदार्पण हुआ । वहाँ से जनपद बिहार भी हुआ । दसा नगर से अन्यत्र विहार कर राजगृह के वैभारगिरि पर पदार्पण । इतश्व वैभारगिरौ श्रीवीरः समवासरत् । विदाञ्चकार तं सद्यो धन्यो धर्म सुहृगिरा ॥ १४५ ॥ वीर प्रभु विहार करते २ वैभारगिरि पधारे। धन्य धर्ममित्र के कहने से भगवान् के पदार्पण की सूचना जानी । • १२ पोतनपुर पे राजगृह - त्रिशलाका० पर्व १० / सर्ग १० विहरन स्वामिना सार्धं तप्यमानस्तपः परम् । अजायत स राजर्षिः क्रमात्सूत्रार्थ पारगः ॥ २४॥ तेनर्षिणाऽपरैश्चापि ऋषिभिः परिवारितः । विहरन् भगवान् वीरो ययौ राजगृहेऽन्यदा ||२५|| - त्रिशलाका० पर्व १० / सर्ग भगवान् के साथ विहार करते और उग्र तपस्या करते प्रसन्नचंद राजर्षि पारगामी हुए । अन्यदा प्रसन्नचंद्र और अन्य मुनियों के साथ भगवान् राजगृह नगरी पधारे । . १३ कालोदाई आदि के समय में ते का तेण समपण समणे भगवं महावीरे जाव गुणसिजए खेइए समोसढे जाव परिसा पडिगया || २१४॥ तरण समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ रायगिहाओ नगराओ, गुणसिलाओ चेहयाओ पडिनिषखमति, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ ||२२१|| Jain Education International तेण कालेन तेण समपण रायगिहे नामं नगरे, गुणसिलए वेइए 1 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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