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________________ ( १९१ ) (ब) तरण समणे भगवं महावीरे अण्णया कदाइ मोयाओ नयरीओ नंदणामो यामो पडिनिक्खमा, पडिनिफ्लमित्ता बहिया जणवयविहारं विहर। तेण कालेण तेण समएणं रायगिहे नाम नयरे होत्था-वण्णओ-जाव परिसा पज्जुषासार। -भाग• श ३/४/सू २६, २७ भमय भगवान महावीर अन्य किसी दिन नंदन चैत्य में मोका नगरी पधारे । तत्पश्चाव मोका नगरी से बाहर जनपद विहार किया। इसके बाद भगवान महावीर का राजगृह नगर पदार्पण हुआ। '४१ तुंगिया नगरी के भाषकों के समय-काल में तरण समणे भगवं महावीरे रायगिहाओ नगराओ गुणसिलाओ चायाभो पडिनिक्समा, परिनिवनमित्ता बहिया जयवयविहारं विहरह ॥॥ तेण कालेण तेण समपण तुंगिया नाम नयरी होत्था ॥९॥ तेण कालेण तेण समएण रायगिहे नाम नगरे होत्था-सामी समोसढे जाव परिसा पडिगया ॥१०५।। - मग श २/७५/सू ६१, ६२, १०५ किती समय भ्रमण भगवान महावीर स्वामी राजगृह नगर के गुणशीलक बगीचे से निकल कर बाहर जनपद में विचरने लगे। उस काल-उस समय में तुंगिया नाम की नगरी थी। नोट- बनारस ( काशी ) से ८० कोस दूर पाटलिपुत्र ( पटना ) शहर है। वहाँ से बस कोस दूर तुंगिया नाम की नगरी है। (श्री समेत शिखर रास) उस काल-उस समय में, राजगृह नाम का नगर था। वहाँ श्रमण भगवान महावीर पधारे । परिषद् वंदनार्थ गई और यावत् धर्मोपदेश सुनकर वापिस लौट गई। .४२. राजगृह नगर में (क) मेघकुमार दीक्षित हुआ उस वर्ष राजगृह नगरी में पदार्पण । इतश्च बिहरन् भव्यावबोधाय जगद्गुरुः। सुरासुरपरीवारो ययौ राजगृहं । पुरम् ॥३६२॥ तस्मिन् गुणशिले चैत्ये चैत्यवृक्षोपशोभितम् । मुरप्रक्लुप्तं समवसरणं शिश्रिये प्रभुः ॥३६॥ Jain Education International www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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