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________________ ( १५८ ) परम समृद्धि से युक्त निरूपम वाणिज्यग्राम नामक एक विख्यात नगर था। नगरी के राजा का नाम जितशत्रु था। वहाँ आनन्द नामक गृहपति रहता था। एक समय पृथ्वी पर विहार करते-करते सिद्धार्थ नन्दन वीरप्रभु वाणिज्यग्राम के द्यतिपलाश नामक उद्यान में पधारे । (घ) तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जाव जेणेष पाणियगामे नयरे जेणेव दूइपलासए चेइए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छिता अहापडि; रूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महायीरे समोसरिए। परिसा निग्गया जाव पडिगया । - उवा० अ १/सू १७,६७६८ उस काल उस समय में श्रमण भगवान महावीर जहाँ वाणिज्यग्राम नगर था--जहाँ द्य तिपलाश चैत्य था। वहाँ पधारे। पधार कर यथाप्रतिरूप अवग्रह यहण कर संयम तप से अपनी आत्मा को भावित कर विचरने लगे तएणं समणे भगवं महावीरे अण्णया कदाइ (वाणियगामाओ नयराओ दूइपलासाओ चेइयाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं ) विहरइ । तएणं समणे भगवंमहावीरे अण्णदाकदाइ बहिया जणवयविहारं विहरइ । ___ --उवा ० अ १/सू ५४,८३ तत्पश्चात् श्रमण भगवान् महावीर अन्यदा वाणिज्यग्राम नगर के चूतिपलाश चैत्य से निकल कर बाहर जनपद विहार करने लगे उस काल उस समय में श्रमण भगवान महावीर पधारे। परिषद् वंदनार्थ निकली। वन्दन कर वापस आयी। . तत्पश्चात् श्रमण भगवान महावीर बाहर जनपद विहार करने लगे। (च) तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियग्गामे नामं नयरे होत्था-वण्णओ। दूतिसलासए चेइए। सामी समोसढे। परिसा निग्गया। धम्मो कहिओ। परिसा पडिगया। -भग० शह/ उ ३२ /सू०७७/पृ० ४१३ उस काल उस समय में वाणिज्य ग्राम नामक नगर था। वहाँ छ तिपलाश नामक चैत्य ( उद्यान ) था। वहाँ श्रमण भगवान महावीर स्वामी पधारे। परिषद् वंदन के लिए निकली। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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