SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 179
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ६६ ) इसी प्रकार चेल्लणा देवी भी सब अंतःपुर के सेवकजनों से घिरी हुई जहाँ भ्रमण भगवान महावीर बिराजमान थे- वहाँ आयी। आकर उसने भगवान की स्तुति की-नमस्कार किया तथा श्रेणिक राजा को आगे कर, राजा के पीछे खड़ी होकर भगवान की पर्युपासना करने लगी। ___ तरण समणे भगवं महावीरे सेणियस्स रण्णो भंभसारस्स चेल्लणादेवीए तीसे महइमहालियाए परिसाए, इसिपरिसाए, जइपरिसाए, मणुस्सपरिसाए, देबपरिसाए, अणेगसभाए जाच धम्मो कहिओ, परिसापडिगया, सेणियराया पडिगओ। -दसासु० दसा १०/सू ११ चेल्लणा देवी के साथ श्रेणिक राजा भगवान् के सपीप में आने के बाद श्रमण भगवान महावीर स्वामी ने श्रेणिक राजा भंभसार और चेल्लणा देवी को चार प्रकार की महा-परिषद् में अर्थात ऋषि परिषद्, मुनि परिषद्, मनुष्य परिषद्, देव परिषद्, जिनमें हजारों श्रोतागण सुनने के लिए एकत्रित हुए है-ऐसी परिषद् के मध्य में विराजमान होकर “जीव जिस प्रकार कर्मों से बद्ध होते हैं, मुक्त होते हैं और क्लेश पाते हैं।” इत्यादि विचित्र प्रकार से श्रुत-चारित्र-लक्षण धर्म कहा । धर्म कथा सुनकर परिषद् अपने-अपने स्थान गयी और श्रेणिक राजा भी गये। (ट) जमाली आदि - तस्सण माहणकुंडग्गामस्स नयरस्स पच्चत्थिमेण एत्थण खत्तियकुंडग्गामे नाम नयरे होत्था-वण्णओ। तत्थण खत्तियकंडग्गामे नयरे जमाली नाम खत्तियकुमारे परिवसइ ॥ x x x १५६ ॥ तएण खत्तियकुंडग्गामे णयरे सिंघाडगतिक-चउक्क-चञ्चर जाव बहुजणसद्दे इ वा जहा ओववाइए जाय एवं पण्णवेइ एवं परूवेइ एवं खलु देवाणुप्पिया! समणे भगवं महावीरे आदिगरे जाव सव्वण्णू सव्वदरिसी माहणकुंडग्गामस्स नगरस्स बहिया बहुसालए चेइए अहापडिरूवं जाव बिहरइ। तं महप्फलं खलु देवाणुप्पिया ! तहारूवाणं अरहताण भगवंताण नामगोयस्स वि सवणयाए जहा ओववादए जाव एगाभिमुहे खत्तियकुंडग्गामं नयरं मज्झमज्झेण निग्गच्छंति, निग्गच्छित्ता जेणेव माहणकुंडग्गामे नयरे जेणेव बहुसालए चेइए, तेणेव उवागच्छंति एवं जहा ओववाइए. जाव तिविहाए पज्जुवासणयाए पज्जुवासंति ॥१५७|| -भग श ६/उ३३/प्र० १५६, १५७/पृ० ४३८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy