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________________ ( २६ ) .०१.५ भगवान महावीर के तेपन्न अणगार की एक वर्ष की श्रमण-पर्याय समणस्स भगवओ महावीरस्स तेवन्न अणगारा सयच्छरपरियाया पंचसु अणुत्तरेसु महइमहालएसु महाधिमाणेसु देवत्ताए उववन्ना। -सम० सम ५३/सू३ ___ श्रमण भगवान महावीर के त्रेपन अनगार एक वर्ष की श्रमण-पर्याय का पालन कर पाँच अनुत्तर विमानों में देव रूप में उत्पन्न हुए। .०१.६ भगवान महावीर के समकालीन प्रत्येक बुद्ध (क) करकंडू कलिंगेसु, पंचालेसु य दुम्मुहो । णमी राया विदेहेसु, गंधारेसु य जग्गई ॥२ उत्त० अ६/टीका में उद्धत ( ल० वल्लभ ) भगवान महावीर के शासन में चार समकालीन प्रत्येक बुद्ध हुए । १. कलिंग देश में करकंडू राजा २. पंचाल देश में दुर्मुखराजा ३. विदेह देश में नमीराजा ४. गांधार देश में नग्गति राजा निमित्त बोध से चार प्रत्येक बुद्ध (ख) करकंडू कलिंगेसु पंचालेसु य दुम्महो। नमी राया विदेहेसु गंधारेसु य नग्गई। वसभे य इंदकेऊ वलए अंबे य पुप्फिए बोही। करकंडु दुमुहस्सामी नम्मिस्स गंधाररन्नो य॥ -धर्मो० पृ० ११६ --उत्त० अ१८/गा ४६ ये चारों प्रत्येक बुद्ध क्रमशः वृषभ, इन्द्रध्वज, कंकण, पुष्प को देखकर प्रतिबोधित .०१.७ अष्ट राजा दीक्षित समणेणं भगवता महावीरेण अढ रायाणो मुंडे भवेत्ता अगाराओ अणगारितं पञ्चाइया, तंजहा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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