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________________ जैन वाङ्मय का दशमलव वर्गीकरण मूल विभागों की रूपरेखा + 5 + + + जै० द० व. सं. (हमारे अंकन) यू० डी० सी० के अंकन ० जैन दार्शनिक पृष्ठभूमि ०१ लोकालोक ५२३.१ ०२ द्रव्य-उत्पाद व्यय ध्रौव्य + जीव १२८ सी० एफ ५७७ ___ जीव परिणाम __ अजीव अरूपी ११४ ०६ अजीब रूपी-पुद्गल ११७ सी० एफ ५३६ ०७ समय-व्यवहार समय ०८ पुद्गल परिणाम ०६ विशिष्ट सिद्धान्त १- जैन दर्शन ११ आत्मवाद १२ कर्मवाद-आस्रव-बंध १३ कियावाद-संवर-निर्जरा-मोक्ष जेनेतरवाद मनोविज्ञान १६ न्याय-प्रमाण १७ आचार-संहिता १८ स्याद्वाद-नयवाद-अनेकान्त १६ विविध दार्शनिक सिद्धान्त २- धर्म २१ जैन धर्म की प्रकृति २२ जैन के धर्मग्रंथ २३ आध्यात्मिक मतवाद २४ धार्मिक जीवन २५ साधु-साध्वी यति-भट्टारक क्षुल्लकादि २५ २६ चतुर्विध संघ २७ जैन धर्म का साम्प्रदायिक इतिहास । २७ २८ सम्प्रदाय २८ २६ जैनेतर धर्म : तुलनात्मक धर्म ३- समाज विज्ञान 2 + + + M R २६ 2 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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