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________________ पृष्ठ २१४ २१५ २१६ २१७ २१५ २२० विषय (क) चारयाम ( महाप्रत ) के सम्बन्ध में (ख) सचेलक-अचेलक के सम्बन्ध में (ग) अंतरंग शत्रुओं के सम्बन्ध में (घ) पाश ( रागद्वेषादि ) सम्बन्ध में (च) लता के सम्बन्ध में (छ) अग्नि ( क्रोध-मान-माया-लोभ ) के सम्बन्ध में (ज) ( मनरूपी ) दुष्ट अश्व के विषय में (स) सन्मार्ग-कुमार्ग के सम्बन्ध में (अ) धर्भरूप द्वीप के सम्बन्ध में (ट) नौका के सम्बन्ध में (3) सच्चे सूर्य के सम्बन्ध में (३) क्षेमरूप-शिवरूप-बाधा-पीड़ा रहित स्थान के सम्बन्ध में •४१.१२.३ गौतम स्वामी से केशी स्वामी ने चार महाब्रत से पाँच महाव्रत ग्रहण किये •४१.१२.४ श्रमण भगवान महावीर की समकालीन अवस्था में गौतम स्वामी का भिक्षार्थ जाना .४१.१२.५ गौतम गणधर और माणंद श्रावक •१ वाणिज्य ग्राम में भिक्षार्थ आज्ञा मानना-भिक्षार्थ जाना '२ गौतम द्वारा आनन्द की चर्चा विषयक समाचार का श्रवण '३ गौतम का मानन्द के पास पहुंचना । •४ आनन्द ने गौतम स्वामी को अपने पास आने का निवेदन किया .५ आनन्द द्वारा अपने ज्ञान की सूचना '६ गौतम का संदेह और आनन्द का उत्तर •७ गौतम का शंकित होकर भगवान के पास आगमन •८ गौतम द्वारा क्षमा याचना “४१:१२.६ महाशतक श्रावक और गौतम गणधर .१ गौतम का आगमन २ महाशतक का भूल स्वीकार करना और प्रायश्चित्त करना '३ गौतम का महाशतक श्रावक के घर से वापस आना ४१.१२.७ अन्य तीथियों से गौतम स्वामी का वाद-विवाद १ अन्य तीथियों द्वारा प्रश्न '२ अन्य तीथियों के साथ सैद्धान्तिक मतभेद .३ भगवान महावीर द्वारा गौतम स्वामी की प्रशंसा २२१ २२२ २२२ २२२ २२३ २२.३ २२४ २२५ । २२५ २२६ २२६ २२७ USU २२८ २२९ २२६ २२९ २२९ २३० ( 40 ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016033
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1984
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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