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________________ वर्धमान जीवन-कोश २३५ .१४ संहनन और संस्थान : वनपभनाराच संहनन व समचतुरस्र संस्थान था सर्व एव गणधरा x x x | वर्षभसंहननाः समचतुरस्राश्च संस्थाने संस्थानविषये। -आव० निगा ६५९/टोका .१५ इन्द्रभूति का जन्म नक्षत्र : जेट्ठा-xxx। टीका-इन्द्रभुतेर्जन्मनक्षत्रं ज्येष्ठा । -आव० निगा ६४६/पूर्वार्ध इन्द्रभूति का जन्म-ज्येष्ठा नक्षत्र में हुआ था। .१६ गौत्र : (क) मगहा गुब्बरगामे जाया तिन्नेव गोयमसगुत्ता। -आव० निगा ६४३/भाग २ मलय टीका-मगधेपु जनपदेषु गोब्बरग्रामे जातात्रय एवाद्या गणधराः, कथम्भूता एते त्रयोऽपी त्याह-'गौतमसगोत्राः' सह गोत्रं येषां ते सगोत्राः, गौतमेन गोत्रेण सगोत्रा गोतमसगोत्राः, गौतमाभिधगोत्रयुक्ता इत्यर्थः । (ख) तिन्नि य गोयमगुत्ता x x x । -आव० निगा ६४६ टोका-त्रय आद्या गणभृतो गौतमगोत्राः। इन्द्रभूति का गौत्र-गौतम गोत्र था । गृहस्थपर्याय : पन्ना x x x । छद्मत्थं परियागं xxx । -आव० निगा ६५०-५१ टीका-इन्द्रभूतेरगारपर्यायः पंचाशवर्षाणि। इन्द्रभूति पचास वर्ष गृहस्थपर्याय में रहे । .१८ छद्मस्थपर्याय : तीसा x x x छउमत्थपरिआओ -आव० निगा ६५२ टीका-इन्द्रभूतेश्छद्मस्थपर्यायस्त्रिंशद्वर्षाणि इन्द्रभूति गणधर तीस वर्ष छद्मस्थ पर्याय में रहे । .१६ केवलिपर्याय : मलय टीका-छद्मपर्यायमगारवासं च व्यवकलय्य यत् सर्वायुष्कस्य शेषं तत् जिनपर्याय विजानीहि, स चायं जिनपर्यायः, इन्द्रभूतेः केवलिपर्यायो द्वादश वर्षाणि।। -आव० निगा ६५४/टीका इन्द्रभूति का केवलि-काल बारह वर्ष का था। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016033
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1984
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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