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________________ वर्धमान जीवन-कोश १६१ .२८ गणधरों का गोत्र तिन्नि य गोयमगुत्ता भारदा अग्गिवेस वासिट्ठा। कासव गोअम हारिअकोडिन्नदुग्गं च गुत्ताई ॥६४६।। -आव० निगा ६४६ मलय टीका-त्रय आद्या गणभृतो गौतमगोत्रा, भारद्वाजो व्यक्तः, अग्निवेश्यायनः सुधर्मः, वासिष्ठो मण्डिकः, कायश्पो मौर्यिकः. गौतमोऽकम्पिक: हारितोऽअचलभ्राता. कौन्डिन्यौ मेतार्य प्रभासश्च । आद्य इन्द्रभूति आदि तीन गणधरों-का गोत्र-गौतम गोत्र था। व्यक्त गणधर का गोत्र-भारद्वाज, सुधर्म का गोत्र-अग्निवेश्यायन मंडिक का वशिष्ठ, मौर्यपुत्र का काश्यप, अकंपित का गौतम, अचलभाता का हारित, मेतार्य तथा प्रभास का गोत्र कौडिन्य था । .२६ गणधरों की अगारपर्याय - गृहस्थपर्याय अधुना अगारपर्यायद्वारप्रतिपादनार्थमाह पन्ना छायालीसा बायाला होइ पन्न पन्ना य । तेवन्न पंचसट्ठी अडयालीसा य छायाला ॥६५०॥ छत्तीसा सोलसगं अगारवासो भवे गणहराणं । __ - आव० निगा ६५०-५१ पूर्वार्ध मलय टीका- इन्द्रभूतेरगारपर्यायः पंचाशद्वर्षाणि, अग्निभूतेः पट्चत्वारिंशद् वायुभूतेज्चत्वारिंशत् : व्यक्तस्य पंचाशत् , सुधर्मणः पञ्चाशत् , मण्डिकस्य त्रिपंचाशत् . मौर्यस्य पंचषष्टिः, अकम्पितस्याष्टाचत्वारिंशत् , अचलभ्रातुः षट्चत्वारिंशत् , मेतार्यस्य षट्त्रिंशत् , प्रभासस्य पोडश। इन्द्रभूति पचास वर्ष, अग्निभूति छयालीस वर्ष, वायुभूति बयालीस वर्ष, व्यक्त पचास वर्ष, सुधर्मा पचास वर्ष मंडित वेपन वर्ष, मौर्यपुत्र पैंसठ वर्ष, अकम्पित अड़तालीस वर्ष, अचलभाता छयालीस वर्ष, मेतार्य छतीस वर्ष और प्रभास सोलह वर्ष गृहस्थ पर्याय में रहे । .३० गणधरों का छदमस्थकाल छउमत्थं परियागं अहक्कम कित्तइत्सामि ॥६५१।। तीसा बारस दसगं बारस बायाल चउदसदुगं च । नवगं बारस दस अट्टगं च छ उमत्थपरिआओ ॥६५२॥ -आव० निगा ६५१-६५२/भाग २ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016033
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1984
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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