SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 21
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्वेताम्बर परम्परा के अनुसार कुमार वर्द्धमान माता-पिता के सामने झुक गये। उन्होंने विवाह कर लिया। महावीर भोग समर्थ होकर दाम्पतिक जीवन प्रारम्भ करते हैं। दिगम्बर परम्परा में महावीर का दाम्पतिक जीवन मान्य नहीं है । दिगम्बर परम्परा के अनुसार कुमार वर्द्धमान ने विवाह का अनुरोध ठुकरा दिया। वे जीवन भर ब्रह्मचारी रहे । दिगम्बर परम्परा भगवान महावीर का पाणि-ग्रहण तो नहीं मानती, पर इतना अवश्य मानती है कि मातापिता की ओर से उनके विवाह का वातावरण बनाया गया था। अनेक राजा उन्हें अपनी-अपनी कन्यायें देना चाहते थे। राजा जितशत्रु अपनी कन्या यशोदा का उनके साथ विवाह करने के लिए विशेष आग्रहशील था। पर महावीर ने विवाह करना स्वीकार नहीं किया। भगवान महावीर के दीक्षार्थ वन-गमन के समय उनके पिता का शोक और माता त्रिशला का करुण विलाप तो पाठों के नेत्रों में भी आँसू लाये बिना न रहेगा। अतः दिगम्बर परम्परानुसार भगवान् के दीक्षा लेने के समय उनके माता-पिता जीवित थे। किन्तु श्वेताम्बर शास्त्रों के अनुसार दोनों के स्वर्गवास होने के दो वर्ष पश्चात भगवान महावीर ने दीक्षा ग्रहण की है। साधना काल के बारह वर्ष तेरह पखवाड़ों में केवल एक बार मुहूर्त भर नींद लीऐसा माना जाता है। कैवल्य प्राप्त होने पर भगवान् की साधना सम्पन्न हो गई। फिर उन्होंने नरंतरिक उपवास नहीं किये। उपवास अपने आप में कोई लक्ष्य नहीं है। वह लक्ष्य पूर्ति का एक साधन है । लक्ष्य की पूर्ति होने पर साधन असाधन बन गया। श्वेताम्बर परम्परानुसार भगवान महावीर के प्रथम चार कल्याण उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में हुए, परिनिर्वाण स्वाति नक्षत्र में हुभा परन्तु दिगम्बर परम्परानुसार भगवान् महावीर के पांचों कल्याणों की तिथि और नक्षत्र निम्न प्रकार थी १-गर्भ कल्याणक-आषाढ़ शुक्ला षष्ठी, उत्तराषाढा नक्षत्र । २-जन्म कल्याणक-चैत्र शुक्ला त्रयोदशी, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र । ३ --दीक्षा कल्याणक-मार्गशीर्ष कृष्णादशमी, , नक्षत्र । ४-केवल कल्याणक-बैशाख शुक्ला दशमी, मघा नक्षत्र । ५-निर्वाण कल्याणक-कार्तिक कृष्णा अमावस्या, स्वाति नक्षत्र । दिगम्बर परम्परानसार भगवान महावीर के ५ नाम प्रसिद्ध रहे हैं १-वीर-जन्माभिषेक के समय इन्द्र-प्रदत्त नाम २-श्री वर्धमान-नाम संस्कार के समय पिता द्वारा प्रदत्त नाम ३-सम्मति-विजय-संजय मुनि द्वारा शंका समाधान होने पर प्रदत्त नाम ४-महावीर-संगम देव द्वारा प्रदत्त नाम ५-महति महावीर-स्थाणु रुद्र द्वारा प्रदत्त नाम भगवान महावीर के पूर्वपक्ष-दिगम्बर परम्परा में पुरूरवा भील से लेकर महावीर होने तक भगवान के गणनीय ३३ भवों का उल्लेख है जबकि श्वेताम्बर परम्परा में २७ ही भव मिलते हैं। उनमें प्रारम्भ के २२ भव कुछ नाम परिवर्तनादि के साथ वे ही हैं जो कि दिगम्बर परम्परा में बतलाये गये हैं। शेष भवों में से कुछको नहीं माना है । ( 20 ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016033
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1984
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy