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________________ ६५० ६ से ११ अंगसूत्ताणि णायाधम्मक हाओ उवास गदसाओ - अंतगडद साओ अण्णुत्तरोबाइयवसाओ पण्हावागराणं- विवागसूयं । वाचना प्रमुख – आचार्य तुलसी, संपादक - मुनि नथमल ( वर्तमान नाम आचार्य श्री महाप्रज्ञ ) प्रकाशक जैन विश्वभारती, लाडणू । १२ से १४ उवसगसूत्ताणि ( खंड - १ ) hari-रायपसेणियं जीवाजीवाभिगमे । वाचना प्रमुख – आचार्य तुलसी, संपादक आचार्य श्री महाप्रज्ञ । प्रकाशक - • जैन विश्वभारती, लाडणू । पुद्गल - कोश १५ से २३ उवसगसूत्ताणि ( खंड -२ ) पण्णवणा-जंबुदीवपण्णत्ती चंदपण्णत्ती-सूरपण्णत्तो निरयावलियाओकप्पवडसियाओ पुष्फियाओ पुप्फचूलियाओ वहिदसाओ । वाचना प्रमुख – आचार्य तुलसी, संपादक- आचार्य श्री महाप्रज्ञ । प्रकाशकजैन विश्वभारती, लाडणू । २४ से ३२ आवस्यं दसवेआलियं उत्तरज्भयाणी - नंदी - अणुओगद्वाराई - कप्पो-ववहारो - निसीहज्भयणं । ३४ वाचना प्रमुख – आचार्य तुलसी, संपादक – आचार्य श्री महाप्रज्ञ | प्रकाशकजैन विश्वभारती, लाडणू । ३३ कष्पसुत्तं संकेत - कप्पसु ० प्रकाशक - साराभाई मणिलाल, अहमदावाद । सभाष्यतत्त्वार्थ - संकेत- - तत्त्व ० ३५ - Jain Education International सूत्र - २ प्रकाशक - परमश्रुत प्रभावक मंडल, खाराकुआ, बम्बई - २ तत्त्वार्थ सर्वार्थसिद्धि-संकेत-तत्त्वसर्व ० प्रकाशक - भारतीय ज्ञान पीठ, वाराणसी । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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