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________________ ६१४ पुद्गल-कोश इनसे अलोकाकाश अनंतगुणे अधिक है । यद्यपि आकाश द्रव्य एक है परन्तु उसके प्रदेश अनंत हैं । • ५९ व्यावहारिक परमाणु ( स्कंध पुद्गल ) और उत्सेधांगुल सत्येण सुतिक्खेण वि छेत्तु ं भेतु ं च णं किरन सक्को । तं परमाणु सिद्धा वयंति आई पमाणाणं ॥१३९० ॥ जो सुतीक्ष्ण शस्त्र से नहीं छेदा-भेदा जा सकता । उसे सिद्ध केवल ज्ञानी ने परमाणु कहा है । वह प्रभाण का आदि कारण है । नोट - वह व्यावहारिक परमाणु अनंश परमाणुओं के समुदाय से बना है । परमाणू तसरेणु रहरेणू अग्गयं च बालस्स । लिक्खा, जूया य जवो अट्ठगुणविसडिढया ॥१३९१ ॥ परमाणु, त्रसरेणु, रथरेणु, वालाग्र, लिक्ख, जूं यव- ये क्रमश: एकदूसरे से आठ गुणे मोटे हैं । नोट -८ व्यावहारिक परमाणु = १ त्रसतेणु = १ रथरेणु ८त्रसरेणु रथरेणु ८ वालाग्र लिक्ख = १ वालाग्र = १ लिक्ख = १ जूं = १ यव ८ जू वीसं परमाणू लक्खा सत्तानउइ भवे सहस्साइं । सययेगं वावन्नं एगंमि उ अंगुले हुंति ॥१३९२ ॥ २०९७१५२ व्यावहारिक परमाणु = १ उत्सेधांगुल अर्थात् क्रमशः ८ ८ = ६४६= ५१२ × ८ = ४०९६ × ८ = ३२७६८ × ८=२६२१४४× ८ = २०९७१५२ व्यावहारिक परमाणु का एक उत्सेधांगुल होता है । Jain Education International परमाणु इच्चाइक्कमेणं उस्सेहअंगुल भणिया । - प्रवसा० गा १३९०, १३९१, १३९२, १३९३ पूर्वार्ध For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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