SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 666
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५७४ पुद्गल-कोश मिथ्यात्वादि कारणों से बंध को प्राप्त होने वाले परमाणु अभव्य-राशि से अनंतगुणे और सिद्ध-राशि के अनंतवें भाग प्रमाण हो पाये जाते हैं । इसके कर्म परमाणुओं को कर्मों की स्थिति से गुणा करने पर समस्त कर्म परमाणु सब जीवों से अनंत गुणे नहीं होते हैं । एक-एक स्पर्धक में भी अभव्य राशि से अनंत गुणी और सिद्ध राशि के अनंतवें भाग प्रमाण वर्गणाएँ होती है । वे वर्गणाएँ संख्या में भी सभी स्पधंकों में समान होती है, क्योंकि ऐसा स्वाभाविक है । ·५ वर्गणा - स्पर्धक अल्पबहुत्व अनुभाग स्थान- अल्पबहुत्व जहणफद्द वग्गणाओ थोवाओ । अजहण्णेसु फट्एसु वग्गणाओ अतगुणाओ । सव्वे फट्एसु वग्गणाओ विसेसाहियाओ x x x - कसायपा० विह ४ । भा ५ । गा २२ । टीका पृ० ३४९ जघन्य स्पर्धक में थोड़ी वर्गणाएँ हैं । उनसे अजघन्य स्पर्धकों में अनंतगुणी वर्गणाएँ है । उनसे सब स्पर्धकों में विशेष अधिक वर्गणाएँ हैं । ६ अल्पबहुत्व स्पर्धक जहणए ट्ठाणे अभवसिद्धिएहि अनंतगुणसिद्धाणमणं तिमभागमेत्ताणि फद्दयाणि x x x | सव्वत्थोवं जहण्णफद्दयं, एगसंखत्तादो। अजहण्णफद्दयाणि अनंतगुणाणि । कोगुणगारो ? अभवसिद्धिएहि अनंतगुणो सिद्धाणमणतिमभागमेत्तो । सव्वाणि फट्ट्याणि विसेसाहियाणि एकरूवेण । अधवा अविभागपडिच्छेदे अस्सिदृण उच्चदे- जहण्णफद्दयं थोवं । उक्कस्सफद्दयमतगुणं । को गुणगारो ? सव्वजीवेहि अनंतगुणो अजहण्णअणुवकस्सफयाणि अनंतगुणाणि । को गुणगारो| अभवसिद्धिएहि अनंतगुणो सिद्धाणमणंतिमभागमेत्तो । अणुक्कस्सफद्दयाणि विसेसाहियाणि अजहरणफद्दयाणिविसे साहियाणि । सव्वाणि फद्दयाणि विसेसाहियाणि । - कसायपा० विह ४ । भा ५ । गा २२ । टीका पृ० ३४९-५० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy