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________________ पुद्गल-कोश ५६७ सबसे कम तीन लोक में व्याप्त पुद्गल है ( क्योंकि अचित्त महास्कंध तीन लोक में व्याप्त कर रहता है सबसे कम है) उससे उर्ध्वलोक व तियंगलोक में व्याप्त पुद्गल अनंतगुण हैं (दो प्रदेश स्पर्शित करने वाले पुद्गल अधिक है)। उससे अधोलोकतिर्यग्लोक में विशेषाधिक है, उनसे तियंगलोक में असंख्यातगुणे अधिक है, उससे ऊर्ध्वलोक में असंख्यातगुणे हैं, उससे अधोलोक में पुद्गल द्रव्य विशेषाधिक है । नोट-अधोलोक सप्तरज्ज अधिक है, उर्वलोक सप्तरज्ज न्यून है तथा तिर्यगलोक में पुद्गल असंख्यातगुणा ( एक रज्जू लम्बा-चौड़ा) अधिक है । .११ अल्पबहुत्व भेद की अपेक्षा एएसि गं भंते ! दव्वाणं खंडाभेएणं पयराभेएणं चूणियाभेएणं अणुतडियाभेएणं उक्करियाभेएण य भिज्जमाणाणं कयरेहितो अप्पा वा ४ ? गोयमा ! सव्वत्थोवाइ दव्वाई उक्करियाभेएणं भिज्जमाणाई अणुतटियाभेएणं भिज्जमाणाई अणंतगुणा चुणियाभेएणं भिज्जमाणाई अणंतगुणाई, पयराभेएणं भिज्जमाणाई अणंतगुणाई, खंडाभेएणं भिज्जमाणाई अणंतगुणाई। -पण्ण. प ११ । सू ८९७ १२ अल्पबहुत्व भेव की अपेक्षा अल्पबहुत्व द्रव्याणि मिद्यमानानि स्तोकान्युत्करिकाभिदा। पश्चानुपूर्व्या शेषाणि स्युरनन्तगुणानि च ॥ -लोकप्र. सर्ग ११ । गा ११२ । पृ० ५६६ सबसे कम उत्कटिका भेद वाले द्रव्य है, उससे अनुतटिका भेद वाले द्रव्य अनंतगुणे हैं, उससे चूणिका भेद वाले द्रव्य अनंतगुणे हैं, उससे प्रतर भेद वाले द्रव्य अनंतगुणे हैं, उससे खंड भेद वाले द्रव्य अनंतगुणे हैं । पुद्गल के भेद को परस्पर अल्पबहुत्व एएसि णं भंते ! दव्वाणं खंडाभेएणं पयराभेदेणं चुणियाभेदेणं अणुतडियाभेदेणं उक्करियाभेदेण य भिज्जमाणाणं कयरे कयरेहितो अप्पा व बहुया वातुल्ला वा, विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सम्वत्थोवाइं वन्वाइं उक्कारिया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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