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________________ ५६४ पुद्गल-कोश ·५ छः द्रव्यों की प्रदेश की अपेक्षा अल्पबहुत्व पुद्गल अनंत है धम्माधम्मागासा तिष्णि वि तुल्लाणि होंति थोवाणि । asis जीवपोग्गल कालागासा अनंतगुणा || - षट्० खण्ड १ । भा २ । सू ३ । टीका में उद्धृत । पु ३ । पृ० १५ धर्म द्रव्य, अधर्म द्रव्य और लोकाकाश – ये तीनों ही समान होते हुए स्तोक है तथा जीव द्रव्य, पुद्गल द्रव्य, काल के समय और आकाश के प्रदेश – ये उत्तरोत्तर वृद्धि की अपेक्षा अनंतगुणे हैं । ·६ द्रव्य - प्रदेश - पर्याय की अपेक्षा अल्पबहुत्व (क) एएसि णं भंते ! जीवाणं पोग्गलाणं अद्धासमयाणं सव्वदव्वाणं सव्व एसाणं सव्वपज्जवाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा १, पोग्गला अनंत गुणा २, अद्धासमया अनंत गुणा ३, सव्वदव्वा विसेसाहिया ४, सव्वपएसा अनंत गुणा ५, सव्वपज्जवा अनंतगुणा । (ख) जीवा पोग्गल समया दव्व पएसा य पज्जवा चेव । योवाणंताणंता विसेसअहिआ दुवेऽणंता ॥ - प्रवसा • गा १४३६ - पण्ण ० प ३ । सू २७५ सबसे न्यून जीव है, उससे पुद्गल अनंतगुणे हैं, उससे काल अनंतगुणा हैं, उससे सर्व द्रव्य विशेषाधिक हैं, उससे सर्व प्रदेश अनंतगुणे हैं, उससे सर्व द्रव्यों की पर्याय अनंतगुणी है। Jain Education International ७ प्रदेश की अपेक्षा छः द्रव्यों का अल्पबहुत्व पुद्गल अनंत है एएसि णं भंते ! धम्मत्थिकाय-अधम्मस्थिकाय आगासत्थि काय - जीवतिथकाय-पोग्गलत्थिकाय - अद्धासमयाणं पएसट्टयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! धम्मत्थिकाए For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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