SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 654
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५६२ ३ पुद्गल के प्रदेश पुद्गल - कोश होंति असंखा जीवे धम्याधम्मे अनंत आयासे । मुत्ते तिविइ पदेसा कालस्सेगो ण तेण सो काओ ॥ - वृहद् ० अधि १ । गा २५ और आकाश में अनंत है । एक जीव, धर्म, अधर्म द्रव्य में असंख्यात प्रदेश है मुर्त - पुद्गल में संख्यात, असंख्यात तथा अनंतप्रदेश हैं प्रदेश हैं अतः काल काय नहीं है । । तथा काल के एक ही एवपदेसो वि अणू णाणाखंधप्पदेसदो होदि । बहुदेसो उवारा तेण य काओ भगंति सव्वण्हु ॥ - वृहद् ० अधि १ । गा २६ एक प्रदेश का धारक भी परमाणु अनेक स्कंध रूप होता है अतः सर्वज्ञ देव उपचार से पुद्गल परमाणु को काय कहते हैं । ८३ अल्पबहुत्व - १ द्रव्य - प्रदेश की अपेक्षा पुद्गल की अल्पबहुत्व एयस्स णं भंते ! पोग्गल त्थिकायस्स दव्वटू-पएसट्टयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे पोग्गलस्थिकाए दव्वट्टयाए, से चेव पएसट्टयाए असंखेज्जगुणे । - पण्ण० प ३ । सू २७२ Jain Education International बहुत प्रदेशों से बहु प्रदेशी पुद्गलास्तिकाय के द्रव्य सबसे कम है, उनसे पुद्गलास्तिकाय के प्रदेश असंख्यात - गुणे अधिक है । • २ द्रव्य की अपेक्षा पुद्गल का अल्पबहुत एएसि णं भंते ! धम्मत्थिकाय-अधम्मत्थिकाय आगासत्थि काय जीवत्थिकाय -पोग्गल त्थिकाय - अद्धासमयाणं दव्वट्टयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! धम्मत्थिकाएअधम्मत्थिकाए आगासत्थिकाए य एए णं तिन्नि वि तुल्ला दव्वट्टयाए सच्वत्थोवा १, जीवत्थिकाए दव्वट्टयाए अनंतगुणे २, पोग्गलत्थिकाए दव्वट्टयाए अनंतगुणे ३, अद्धासमए दव्वट्टयाए अनंतगुण | For Private & Personal Use Only - पण्ण० प ३ । सू २७० www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy