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________________ ४ विविध वीयन्तिरायकर्म और पुद्गल पुद्गल-कोश विरियरस य णोकम्मं रुक्खाहारादिबलहरं दव्वं । वीर्यान्तराय कर्म के नोकर्म रूखा रूक्ष आहार आदि बल के नाश करने वाले पदार्थ है । ५४९ -कम्मगो ० मा ८५ पूर्वार्ध •७४ जनेतर ग्रन्थों में पुद्गल xxx पुद्गलास्तिकायः षोढा - पृथिव्यादीनि चत्वारि भूतानि स्थावरं जङ्गमं चेति । पुद्गलास्तिकाय के छः भेद है - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु — ये चार भूत तथा स्थावर और जंगम । रिक्तपर्यायानुपलम्भात् × × × Jain Education International शांकरभाष्य टीका ( भामती ) - शांकरभाष्य टीका ( न्यायनिर्णय ) - शांकरभाष्य टीका ( रत्नप्रभा ) -७५ पुद्गल के - अणु ( परमाणु ) और स्कंध — भेद सादि परिणाम वाले है, अनादि परिणाम वाले नहीं है खलूत्पत्तिमत्त्वादादिमान्प्रति पुद्गलाना मणुस्कंधलक्षणः xxx स ज्ञायते । स्कंध पुद्गल तथा परमाणु पुद्गल सादिपरिणामवाले है । - १२ परमाणु द्रव्यतः नित्य हैं अयं सर्वोऽपि द्रव्यस्तारः सदादि - परमाणुपर्यन्तो नित्यः, द्रव्यात् पृथग्भूतपर्यायाणामसत्वात् । न पर्यायस्तेभ्यः पृथगुत्पद्यते, सत्तादिव्यति - सर्वसि० अ ५ । सू २५ - कसायपा० भा १ । गा १३-१४ टीका । पृ० २१६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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