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________________ ५२६ पुद्गल-कोश .४ अवधि ज्ञानी-सर्व पुद्गल द्रव्यों को जान सकता है xxx परमाणु पज्जतासेसपोग्गलदव्वाणम-संखेज्जलोगमेतखेत्तकालभावाणं कम्मसंबंधवसेण पोग्गलभावमुवगयजीव xxx - कसायपा. भा १। गा १ । टीका । पृ० ४३ महास्कंध से लेकर परमाणुपर्यंत समस्त पुद्गल द्रव्यों को, असंख्यात लोक-प्रमाण क्षेत्र, काल और भावों को तथा कर्म के संबंध से पुदगल भाव को प्राप्त हुए जीवों को जो प्रत्यक्ष रूप से जानता है उसे अवधि ज्ञान कहते हैं। परमाणु से अंतिम स्कंध पर्यन्त-रूपी द्रव्यों को अवधि दर्शन देखता है परमाणुआदिआई अंतिमखंधं त्ति मुत्तिदवाई। तं ओहिसण पुण जं पस्सइ ताइ पच्चक्खं ॥ -गोजी० गा ४८५ अवधि दर्शन परमाणु से लेकर अन्तिम स्कंध पर्मन्त मूर्तिक द्रव्यों को देखता है। परमावधि ज्ञानी समस्त पुद्गल द्रव्य और संख्यात पर्याय को जानता है xxx। द्रव्यं तु सर्व रूपं पश्यति। भावं तु तेषामेव रूपिद्रव्याणां पर्यायान् वक्ष्यमाणसंख्यान जानाति । -विशेभा गा ६८६ । टीका परमावधि ज्ञानी द्रव्यतः सर्व पुदगल द्रव्यों को जानता है, भावतः उन पुद्गल द्रव्यों की संख्यात पर्यायों को जानता है। परमावधि ज्ञानी एक प्रदेशावगाढ पुद्गलों को जानता है पुद्गल का ज्ञान परमावधि ज्ञानी सर्व पुद्गलों को जानता है एगपएसोगाढं परमोही लहइ कम्मगसरीरं। लहइ य अगुरुयलहुयं तेयसरीरे भवपुहुत्तं ॥ --विशेभा० गा ६७५ टीका-एकस्मिन्नाकाशप्रदेशेऽवगाढं स्थितमेकप्रदेशावगाढं परमाणुद्वयणुकाद्यनन्ताणुकस्कंधपर्यन्तं सर्वमपि द्रव्यं, परमश्चासाववधिश्च परमाव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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