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________________ पुद्गल-कोश ५२१ तीनप्रदेशी स्कंध में १३ भंग पाये जाते हैं - यथा-३ असंयोगी, ९ दो संयोगी ( चौथा, आठवां और बारहवां ये तीन भग छोड़कर, शेष ९ भंग ) और तीन संयोगी १ ( पहला भग)। चतुष्प्रदेशी स्कंध में १९ भंग पाये जाते हैं, यथा --३ असंयोगी, १२ दो संयोगी और ४ तीन संयोगी ( पहला, दूमरा, तीसरा और पांचवां)। पंचप्रदेशी स्कंध में २२ भंग पाये जाते हैं -यथा -३ असंयोगी, १२ दो संयोगी और ७ तीन संयोगी ( आठवां भंग छोड़कर शेष सात )। __ छः प्रदेशी स्कंध में २३ भंग पाये जाते हैं। ____ इसी प्रकार सात प्रदेशी स्कंध में, आठ प्रदेशी स्कंध में यावत् अनंतप्रदेशी स्कंध में प्रत्येक में तेईस-तेईस भंग पाये जाते हैं। नोट -दो प्रदेशी स्कंध में छः भांगे होते हैं-इन में पहले के तीन भांगे सकल ( सब ) स्कंध की अपेक्षा से होते हैं। इनमें पहले के तीन भांगे सकल (सब ) स्कंध की अपेक्षा से होते हैं। बाकी के तीन भांगे देश की अपेक्षा से होते हैं । द्विप्रदेशी स्कंध होने से उसका एक देश की स्वपर्याय के द्वारा सत् रूप विवक्षा की जाय और दूसरे देश की पर्याय के द्वारा असत् रूप विवक्षा की जाय तो द्विप्रदेशी स्कंध में चौथा भांगा यानी दो संयोगी का पहला भांगा । कथंचित् आत्मा रूप और कथंचित नोआत्मा रूप) पाया जाता है। जब द्विप्रदेशी स्कंध के एक देश की स्वपर्याय के द्वारा सत् रूप विवक्षा की जाय और दूसरे सत और असत् उभय रूप में विवक्षा की जाय तब पांचवां भांगा यानी दो संयोगी का पांचवां भांगा ( कथंचित् आत्मा और कथंचित अवक्तव्य ) पाया जाता है। जब द्विप्रदेशी स्कंध का एक देश पर पर्याय के द्वारा असत् रूप विवक्षा की जाय और दूसरे देश की उभय रूप विवक्षा की जाय तब छट्ठा भांगा यानी दो संयोगी का नववां भांगा (नोआत्मा और अवक्तव्य पाया जाता है। तीन प्रदेशी स्कंध में १३ भांगे पाये जाते हैं। उसमें असंयोगी ३ भांगे सकल स्कंध की अपेक्षा से होते हैं। दो संयोगी नव भांगे-१-२-३-५-६-७-९-१०-११ ( समुच्चय दो संयोगी १२ भांगे में से चौथा, आठयां, और बारहवां-ये तीन भांगे छोड़कर ) तीन संयोगी आत्मा एक, नो आत्मा, एक अवक्तव्य एक यह भांगा पाया जाता है। .६७ स्कंध की विविध अपेक्षा से स्थिति "१ (पाठ के लिए देखो क्रमांक २१ ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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