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________________ ४९४ पुद्गल-कोश वारहवां, तेरहवां, तेइसवां, चौवीसवां तथा पचीसवां- ग्यारह भांगे होते हैं, बाकी का प्रतिषेध करना चाहिए । छःप्रदेशी स्कंध – १ कदाचित् चरम है, २ अचरम नहीं है, कदाचित् अवक्तव्य है, ४ चरम नहीं है, ५ अचरम नहीं है, ६ अवक्तव्य नहीं है, ७ कदाचित् चरम है, व अचरम है, ८ कदाचित् चरम है तथा अचरम है, ९ कदाचित् चरम है तथा अचरम है, १० कदाचित् चरम है तथा अवक्तव्य है, ११ कदाचित् चरम है तथा अवक्तव्य है, १२ कदाचित् चरम है तथा अवक्तव्य है, १३ कदाचित चरम है तथा अवक्तव्य है, १४ कदाचित् चरम है तथा अवक्तव्य है, १५ अचरम नहीं है तथा अवक्तव्य है, १६ अचरम नहीं है तथा अवक्तव्य है, १७ अचरम नहीं है तथा अवक्तव्य है, १८ अचरम नहीं है तथा अवक्तव्य है, १९ कदाचित् चरम, अचरम तथा अवक्तव्य है, २० चरम नहीं है, अचरम है, अवक्तव्य है, २१ चरम नहीं है, अचरम है, तथा अवक्तव्य है, २२ चरम नहीं है, अचरम है तथा अवक्तव्य है है, २३ कदाचित् चरम है, अचरम है तथा अवक्तन्य है, २४ कदाचित् चरम है, अचरम है तथा अवक्तव्य है, २५ कदाचित् चरम है, अचरम है तथा अवक्तव्य है तथा २६ कदाचित चरम है, अचरम है तथा अवक्तव्य है। नोट-दूसरा, चौथा, पांचमा, छट्ठा, पन्द्रहवां, सोलहवां, सत्तरवां, अठारवां, बीसवां, इककीसवां, बाइसवां, इन ग्यारह भांगो को छोड़कर बाकी के पन्द्रह भांगे छः प्रदेशी स्कध में होते हैं । सात प्रदेशी स्कंध - १ कदाचित् चरम है, २ अचरम नहीं है, ३ कदाचित अवक्तव्य है, ४ चरम नहीं है, ५ अचरम नहीं है, ६ अवक्तव्य नहीं है, ७ कदाचित् चरम है, अचरम है, ८ कदाचित् चरम है, अचरम है, ९ कदाचित् चरम हैं, तथा अचरिम है, १० कदाचित् चरम है तथा अचरम है, ११ कदाचित् चरम है तथा अवक्तव्य है, १२ कदाचित् चरम है तथा।अवक्तव्य है, १३ कदाचित् चरम है तथा अवक्तव्य है, १४ कदाचित् चरम है यथा अवक्तव्य है, १५ अचरम नहीं है तथा अवक्तव्य है, १६ अचरम नहीं है तथा अवक्तव्य है, १७ अचरम नहीं है तथा अवक्तव्य है, १८ अचरम नहीं हैं तथा अवक्तव्य है, १९ कदाचित् चरम है, अचरम है, अवक्तव्य है, २० कदाचित् चरम है, अचरम है तथा अवक्तव्य है, २१ कदाचित् चरम है, अचरम हैं तथा अवक्तव्य है, २२ कदाचित् चरम है, अचरम हैं तथा अवक्तव्य हैं, २३ कदाचित् चरम हैं. अचरम हैं तथा अवक्तव्य हैं, २४ कदाचित् चरम हैं, अचरम हैं तथा अवक्तव्य हैं, २५ कदाचित् चरम हैं, अचरम हैं तथा अवक्तव्य हैं, २६ कदाचित् चरम हैं, अचरम हैं तथा अवक्तव्य हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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