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________________ ४९२ पुद्गल-कोश अवत्तव्वयाइच २४ सिय चरिमाइच अचरिमाई च अवत्तन्वए य २५ सिय चरिमाईच अचरिमाईच अवत्तव्वयाइच २६ -पण्ण० पद १० सू ७८२ से ७८८ '३ संखेज्जपएसिए असंखेज्जपएसिए अणंतपएसिए खंधे जहेव अट्ठपएसिए तहेव पत्तेयं भाणियन्वं ॥७८९॥ -पण्ण० प १० । सू ७८९ गाहा•४ परमागुम्मि य तइओ पढमो तइओ य होइ दुपएसे। पढमो तइओ नवमो एक्कारसमो य तिपएसे ॥१८॥ पढमो तइओ नवमो दसमो एक्कारसो य बारसमो। भंगा चउप्पएसे तेवीसइमो य बोद्धव्वो॥१८६॥ पढमो तइओ सत्तमनवदसएक्कारबारतेरसमो। तेवीसचउव्वीसो पणुवीसइमो य पंचमए ॥१८७॥ वि चउत्थ पंचं छ8 पणरस सोलं च सत्तरद्वारं। वीसेक्कवीसबावीसगं च वज्जेज्ज छट्ठम्मि ॥१८९॥ बिचउत्थपंचछट्ठ पण्णर सोलं च सत्तरऽद्वारं । बावीसइमविहूणा सत्तपएसम्मि खंधम्मि ॥१९॥ बिचउत्थपंचछट्ठ पण्णर सोलं च सत्तरद्वारं । एए वजिय भंगा सेसा सेसेसू खंधसु॥१९१॥ -पण्ण० पद १० । सू ७९० में देखो-२६ भांगों का विवरण :३९ द्विप्रदेशी स्कंध कदाचित् चरिम है, अचरिम नहीं है, कदाचित अवक्तव्य है। अवशेष तेबीस भांगों का प्रतिषेध करना चाहिए । तीन प्रदेशी स्कंध -१ कदाचित् चरिम है, २ अचरिम नहीं हैं, ३ कदाचित् अवक्तव्य है ( एकवचन की अपेक्षा), ४ चरिम नहीं है, ५ अचरिम नहीं है, ६ अवक्तव्य नहीं है (वहुवचन की अपेक्षा), ७ चरम और अचरम नहीं है, ८ एकवचन चरम और बहुवचन अचरम नहीं है, ९ कदाचित् बहुवचन चरम और एकवचन अचरम है, १० बहुवचन चरम और अचरम नहीं है, ११ कदाचित् एकवचन चरम और अवक्तव्य है। शेष पंद्रह भंगो का प्रतिषेध करना चाहिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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