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________________ पुद्गल-कोश दुर्गंध पर्याय रूप से, तिक्त-कट-कषाय-आम्ल-मधुररस पर्याय रूप से तथा शीत-उष्णस्निग्ध-रूक्ष पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है । अजघन्य-अनुत्कृष्ट कृष्णगुण कालेवर्ण वाले द्विप्रदेशी स्कंधों में अनंत पर्याय होते हैं। अजघन्य-अनुत्कृष्ट गुण कालेवर्ण वाले द्विप्रदेशी स्कंध का-अन्यान्य उत्कृष्ट गुण कालेवर्ण वाले द्विप्रदेशी स्कंध से तुलना (१) द्रव्यार्थ से-तुल्य । (२) प्रदेशार्थ से--तुल्य । (३) अवगाहनार्थ से-हीनाधिक वा तुल्य । (४) स्थिति अपेक्षा से-चतुःस्थान हीनाधिक वा तुल्य । (५) कालेवर्ण पर्याय से- छःस्थान हीनाधिक वा तुल्य । (६) अवशेषवर्ण से-छ:स्थान होनाधिक बा तुल्य । (७) गंध-रस-स्पर्श अपेक्षा से- छःस्थान हीनाधिक वा तुल्य । अजघन्य-अनुत्कृष्ट ( मध्यम ) गुण कालेवर्ण वाले द्विप्रदेशी स्कंध अजघन्य गुण कालेवर्ण वाले द्विप्रदेशी स्कंध से द्रव्य रूप से तुल्य है, प्रदेश रूप से भी तुल्य है, अवगाहना रूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित तुल्य है, कदाचित् अधिक है। यदि न्यून है तो एक प्रदेश न्यून है, यदि अधिक है तो एक प्रदेश अधिक है। स्थिति रूप से चतु:स्थान न्यूनाधिक है, कृष्णवर्ण पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है वा तुल्य है। अवशेषवर्ण (नील-रक्त-पीत-शुक्लवर्ण) पर्याय अपेक्षा से छःस्थान न्यूनाधिक है वा तुल्य है। सुगंध-पर्याय-रूप से ; तिक्त-कटु-कषाय-आम्ल-मधुररस पर्याय रूप से ; शीत-उष्ण-स्निग्ध रूक्ष पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है । जिस प्रकार जघन्य गुण कृष्णवर्ण वाले, उत्कृष्ट गुण कृष्णवर्ण बाले तथा अजघन्य-अनुत्कृष्ट गुण कृष्णवर्ण वाले द्विप्रदेशी स्कंध के विषय में कहा है वैसे ही तीन प्रदेशी यावत् दस प्रदेशी स्कंध के विषय में जानना चाहिए परन्तु अवगानाह रूप से उसी प्रकार प्रदेश की वृद्धि करनी चाहिए। यथा जघन्य गुण कृष्णवर्ण वाले, उत्कृष्ट गुण कृष्णवर्ण वाले, अजघन्य-अनुत्कृष्ट गुण कृष्णवर्ण वाले तीन प्रदेशी स्कंध-जघन्य गुण कृष्णवर्ण वाले, उत्कृष्ट गुण कृष्णवर्ण वाले, अजघन्य-अनुत्कृष्ट गुण कृष्णवर्ण वाले तीन प्रदेशी स्कंध से अवगाहना रूप से कदाचित् हीन है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् अधिक है। यदि न्यून है तो एक प्रदेश न्यून है अथवा दो प्रदेश न्यून है। यदि अधिक है तो एक प्रदेश अधिक है अथवा दो प्रदेश अधिक है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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