SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 548
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४५६ पुद्गल-कोश जघन्य स्थितिवाले द्विप्रदेशी स्कंधों में अनंत पर्याय होते हैं । जधन्य स्थितिवाले द्विप्रदेशी स्कंध जघन्य स्थितिवाले द्विप्रदेशी स्कंध से द्रव्य रूप से तुल्य है, प्रदेश रूप से भी तुल्य है। जघन्य स्थितिवाले द्विप्रदेशी स्कंध जघन्य स्थितिवाले द्विप्रदेशी स्कंध से अवगाहना रूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् अधिक है। यदि न्यून है तो एक प्रदेश न्यून है तथा यदि अधिक है तो एक प्रदेश अधिक है। जघन्य स्थितिवाले द्विप्रदेशी स्कंध जघन्य स्थितिवाले द्विप्रदेशी स्कंध से स्थिति रूप से तुल्य है। जघन्य स्थितिवाले द्विप्रदेशी स्कंध जघन्य स्थितिवाले द्विप्रदेशी स्कंध से वर्णगंध-रस पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है। जघन्य स्थितिवाले द्विप्रदेशी स्कंध जघन्य स्थितिवाले द्विप्रदेशी स्कंध से शीतउष्ण-स्निग्ध-रूक्ष पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है। जिस प्रकार जघन्य स्थितिवाले द्विप्रदेशी स्कंध जघन्य स्थितिवाले द्विप्रदेशी स्कंध से द्रव्य रूप से तुल्य है, प्रदेश रूप से तुल्य है, स्थिति रूप से तुल्य है, अवगाहना रूप से कदाचित् एक प्रदेश न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् एक प्रदेश अधिक है। वर्ण-गंध-रस पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है । शीत-उष्णस्निग्ध-रूक्ष स्पर्श पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है । उसी प्रकार उत्कृष्ट स्थितिवाले द्विप्रदेशी स्कंध उत्कृष्ट स्थिति वाले द्विप्रदेशी स्कंध से द्रव्य रूप से तुल्य है, प्रदेश रूप से तुल्य है, अवगाहना रूप से कदाचित् एक प्रदेश न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् एक प्रदेश अधिक है, स्थिति रूप से तुल्य है. वर्णगंध-रस पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है। शीत-उष्ण-स्निग्धरूक्ष पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है। अजघन्य-अनुत्कृष्ट ( मध्यम ) स्थितिवाले द्विप्रदेशी स्कंध अजघन्य-अनुत्कृष्ट स्थितिवाले द्विप्रदेशी स्कंध से द्रव्य रूप से तुल्य है, प्रदेश रूप से तुल्य है, अवगाहना रूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् अधिक है। यदि न्यून है तो एक प्रदेश न्यून है, यदि अधिक है तो एक प्रदेश अधिक है। स्थिति रूप से चतु:स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है। वर्ण-गंध-रस स्पर्श ( शीत-उष्ण-स्निग्ध-रूक्ष) पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy