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________________ ४५४ पुद्गल-कोश है अथवा तुल्य है । वर्ण-गंध-रस-स्पर्श ( शीत-उष्ण-स्निग्ध-रूक्ष स्पर्श पर्याय रूप से) पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है । जघन्य अवगाहनावाले अनंत प्रदेशी स्कंधों में अनंत पर्याय होते हैं । जघन्य अवगाहनावाले अनंत प्रदेशी स्कंध जघन्य अवगाहनावाले अनंत प्रदेशी स्कंध से द्रव्य रूप से तुल्य है, प्रदेश रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है, अवगाहना रूप से तुल्य है, स्थिति रूप से चतुःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है। वर्ण पर्याय रूप से, गंध पर्याय रूप से तथा रस पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है तथा शीत-उष्ण-स्नग्ध-स्पर्श पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है। उत्कृष्ट अवगाहनावाले अनंतप्रदेशी स्कंध उत्कृष्ट अवगाहनावाले अनंत प्रदेशी स्कंध से द्रव्य रूप से तुल्य है, प्रदेश रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है । अवगाहना रूप से तुल्य है, स्थिति रूप से तुल्य है। वर्ण-गंध-रस-स्पर्श ( शीत-उष्णस्निग्ध रूक्ष पर्याय रूप से ) पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है। टीकाकार ने कहा है-उत्कृष्ट अवगाहनावाला अनंत प्रदेशी स्कंध उसको कहा जाता है जो समस्त लोक व्यापी होता है और वह अचित्त महास्कंध या केवलिसमुदघात अवस्था में कर्मस्कंध रूप होता है। इन दोनों का काल-टण्ड-कपाटमथन तथा अंतरपूरण रूप चार समय का होता है अतः स्थिति रूप से तुल्य है। अजघन्य-अनुत्कृष्ट ( मध्यम ) अवगाहनावाले अनंत प्रदेशी स्कंधों में अनंत पर्याय होते हैं। अजघन्य-अनुत्कृष्ट अवगाहनावाले अनंत प्रदेशी स्कंध अजघन्य-अनुत्कृष्ट अवगाहनावाले अनंत प्रदेशी स्कंध से द्रव्य रूप से तुल्य है, प्रदेश रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है, अवगाहना रूप से चतुःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है, स्थिति रूप से भी चतु:स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है। वर्ण-गंध-रस पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है तथा कर्कश-मृदु-गुरु-लघु-शीत-उष्णस्निन्ध-रूक्ष पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है । कावस्थिति वाले पुद्गल और पर्याय संख्या जघन्य उत्कृष्ट-अजघन्य-अनुत्कृष्ट समय स्थिति वाले पुद्गल और पर्याय संख्या '५२.५.२ जहण्णठिईयाणं दुपएसियाणं पुच्छा। गोयमा ! अणंता। से केण?णं भंते ! गोयमा! जहण्णठिईए दुपएसिए जहण्णठिईयस्स दुपए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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