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________________ पुद्गल-कोश - इसी प्रकार अनंत प्रदेशी स्कन्ध अनंत प्रदेशी स्कन्ध से मृदु-गुरु-लघु-शीत-उष्णस्निग्ध-रूक्ष स्पर्श पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है। .५२.५.१ जघन्य-मध्यम-उत्कृष्ट प्रदेशी स्कंधों की संख्या पर्याय जहण्णपएसियाणं भंते ! खंधाणं पुच्छा। गोयमा! अणंता। से केण?णं? गोयमा ! जहण्णपएसिए खंधे जहण्णपएसियस्स खंधस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले, पएसट्टयाए तुल्ले, ओगाहणट्टयाए सिय होणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए-जड होणे पएसहीणे अह अब्भइए पएसमभइए, ठिईए चउट्ठाणवडिए, वण्ण-गंध-रस-उवरिल्ल-चउफासपज्जवेहि छट्ठाणवडिए। ___ उक्कोसपएसियाणं भंते ! खंधाणं पुच्छा। गोयमा ! अणंता। से केण?णं? गोयमा ! उक्कोसपएसिए खंधे उक्कोसपएसियस्स खंधस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले, पएसट्टयाए तुल्ले, ओगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए, ठिईए चउट्ठाणवडिए, वण्णादि-अट्ठफासपज्जवेहि य छट्ठाणवडिए। . अजहण्णमणुक्कोसपएसियाणं भंते ! खंधाणं केवइया पज्जवा पन्नत्ता ? गोयमा ! अणंता। से केण?णं ? गोयमा! अजहण्णमणुक्कोसपएसिए खंधे अजहण्णमणुक्कोसपएसियस्स खंधस्स दवट्ठयाए तुल्ले, पएसट्टयाए छट्ठाणवडिए, ओगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए, ठिईए चउट्ठाणवडिए, वण्णादि अट्ठफासपज्जवेहि य छट्ठाणवडिए। - पण्ण० प ५ । सू ५५४ । पृ० ३६९ - जघन्य प्रदेश वाले स्कंधों में अनंत पर्याय होते हैं। जघन्य प्रदेश वाले स्कंध जघन्य प्रदेश वाले स्कंध से द्रव्य रूप से तुल्य है, प्रदेश रूप से भी तुल्य है। जघन्य प्रदेशवाले स्कंध जघन्य प्रदेशवाले स्कंध से अवगाहना रूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् अधिक है। यदि न्यून है तो एक प्रदेश न्यून है तथा यदि अधिक है तो एक प्रदेश अधिक है। जघन्य प्रदेशवाले स्कंध जघन्य प्रदेशवाले स्कंध से स्थिति रूप से चतु:स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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