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________________ ४४२ पुद्गल-कोश जिस प्रकार कृष्णवर्णपर्याय रूप से संख्यात प्रदेशी स्कन्ध संख्यात प्रदेशी स्कन्ध से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है वैसे ही नील-रक्त-पीत-शुक्लवर्णपर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है । संख्यात प्रदेशी स्कन्ध संख्यात प्रदेशी स्कन्ध से सुगन्धपर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है । जिस प्रकार सुगन्धपर्याय रूप से संख्यात प्रदेशी स्कन्ध संख्यात प्रदेशी स्कन्ध से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है वैसे ही दुर्गन्धपर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है। __ संख्यात प्रदेशी स्कन्ध संख्यात प्रदेशी स्कन्ध से तिक्त रसपर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है । जिस प्रकार तिक्तरसपर्याय रूप से संख्यात प्रदेशी स्कन्ध संख्यात प्रदेशी स्कन्ध से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है वैसे ही कटु-कषाय-आम्ल-मधुर रस पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है । संख्यात प्रदेशी स्कन्ध संख्यात प्रवेशी स्कन्ध से शीतस्पर्शपर्याय रूप से छःस्थान म्यूनाधिक है अथवा तुल्य है । जिस प्रकार शोतस्पर्शपर्याय रूप से संख्यात प्रदेशी स्कन्ध संख्यात प्रदेशी स्कन्ध से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है वैसे ही उष्ण-स्निग्ध-रूक्षपर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है। अतः संख्यात प्रदेशी स्कन्ध में अनंतपर्याय होते हैं । असंख्यात प्रदेशी स्कन्धों में अनंतपर्याय होते हैं। असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध से द्रव्य रूप से तुल्य है। असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध से प्रदेश रूप से चतुःस्थान न्यूनाधिक हैं अथवा तुल्य है । असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध से अवगाहना रूप से चतुस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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