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________________ ४१६ पुद्गल-कोश टीका-'समनिद्धयाए' इत्यादि, परस्परं समस्निग्धतायां-समगुणस्निग्धतायां तथा परस्परं समरूक्षतायां-समगुणरूक्षतायो बंधो न भवति, किंतु यदि परस्परं स्निग्धत्वस्य रूक्षत्वस्य च विषममात्रा भवति तदा बंध: स्कंधानामुपजायते, इयमत्र भावना- समगुणस्निग्धस्य परमाण्वादे: समगुणस्निग्धेन परमाण्वादिना सह संबंधो न भवति, तथा समगुणरूक्षस्यापि परमाण्वादेः समगुणरूक्षेण परमाण्वादिना सह संबंधो न भवति, किन्तु यदि स्निग्धः स्निग्धेन रूक्षः रूक्षेण सह विसमगुणो भवति, तदा विषममानत्वात् भवति तेषां परस्परं संबंधः। विषममात्रया बंधो भवतीत्युक्तं ततो विषममात्रानिरूपणार्थमाह "णिद्धस्स णि ण दुयाहिएण" त्यादि, यदि स्निग्धस्य परमाण्वादेः स्निग्धगुणेनैव सह परमावादिना बंधो भवितुमर्हति तदा नियमात् द्वयादिकाधिकगुणेनैव परमाण्वादिनेति भावः, रूक्षगुणस्यापि परमाण्वादेः रूक्षगुणेन परमाण्वादिना सह यदि बंधो भवति तदा तस्यापि तेन द्वयाद्यधिकाविगुणनैव वान्यथा, यदा पुनः स्निग्धरूक्षयोर्बन्धस्तदा कथमिति चेत् ? अत आह-णिद्धस्स लुक्खेणं' त्यादि, स्निग्धस्य रूक्षेण सह बंध उपैति-उपपद्यते जघन्यवों विषमः समो वा, कि मुक्तं भवति ? एक गुणस्निग्धं एकगुणरूक्षं च मुक्त्वा शेषस्य द्विगुणस्निग्धादिद्विगुणरूक्षादिना सर्वेण बंधो भवतीति। गाद्यार्थ-स्निग्ध स्पर्श वाले पुद्गलों का यदि स्निग्ध स्पर्श गुण सम हो तो परस्पर में बंधन नहीं होता है। उसी प्रकार रूक्ष स्पर्श वाले पुद्गलों का यदि रूक्ष स्पर्श गुण सम हो तो परस्पर में बंधन नहीं होता है। स्निग्ध स्पर्श वाले पुद्गलों का यदि स्निग्ध स्पर्श गुण विषम हो तो परस्पर में बंधन होता है। उसी प्रकार रूक्ष स्पर्श वाले पुद्गलों का यदि रूक्ष स्पर्श गुण विषम हो तो परस्पर में बधन होता है। इस प्रकार के बंधन से स्कंधों का निर्माण होता है। स्निग्ध स्पर्श वाले पुद्गलों का परस्पर में यदि उनके स्निग्ध स्पर्श गुणों में दो गुण का अंतर हो तो बंधन होता है। उसी प्रकार रूक्ष स्पर्श वाले पुद्गलों का Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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