SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 456
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३६४ पुद्गल - कोश उसमें परमाणु अधिक करने पर नभोवर्गणा का जघन्य होता है । इसका जगत्प्रतर के असंख्यातवें भाग से गुणा करने पर नभोवगंणा का उत्कृष्ट होता है । उसमें एक बढाने पर महास्कंधवगंणा का जघन्य होता है । इससे उसी का पल्य का असंख्यातवें भाग बढ़ाने पर महास्कंधवर्गणा का उत्कृष्ट होता है । •५ वर्गणा पर दृष्टान्त इह भरतक्षेत्रे मगधजनपदे प्रभूतगोमंडलस्वामी कुविकर्णो नाम गृहपतिरासीत् । स च तासां गवामतिबहुत्वात् सहस्रादिसंख्यापरिमितानां पृथग् पृथगनुपालनार्थं प्रभूतान् गोपालांश्चक्रे । ते च तासु परस्परं मीलितासु गोष्वात्मीया आत्मीयाः सम्यगजानन्तः सन्तो नित्यं कलहमकार्षुः । तांश्च तथाऽन्योन्यं विवदमानानुपलभ्याऽसौ तेषामव्यामोहाथं कलहव्यवच्छित्तये च शुक्ल कृष्ण-रक्त-कर्बुरादिभेदभिन्नानां गवां प्रतिगोपालं सजातीयगोसमुदायरूपा भिन्ना वर्गणा व्यवस्थापितवानिति । एष दृष्टांत । अथोपनय उच्यते-इह गोमंडलप्रभुकल्पस्तीर्थकरो गोपतुल्येभ्यः स्वशिष्येभ्यो गोसमूहमानं पुद्गलास्तिकायं तदसंमोहाथं परमाण्वादिवर्गणाविभागेन निरूपितवानिति । - विशेभा ० इस भरत क्षेत्र में मगध जनपद में प्रभूतगोमंडल का स्वामी कुविकर्ण नामक गृहपति रहता था । उसके पाप बहुतसी गायों का समूह था । पृथग्- पृथग् गायों की प्रतिपालना के लिए गोपालक थे । ० गा० ६३२ । टीका महास्कन्ध वर्गणा तक सजातीय तरह के पुद्गलों के समुदाय, जैसे परमाणुओं के समूह को व्याख्या - अस्तु परमाणु वर्गणा से भचित्त वस्तुओं के समुदाय को वर्गणा कहते हैं । एक ही राशि या समूह को उन पद्गलों को वर्गणा कहते हैं । अबद्ध समूह को परमाणु वर्गणा कहेंगे व द्विप्रदेशी स्कंधों के समूह को द्विप्रदेशी वर्गणा कहेंगे । पुद्गलों के अनंत भेद हैं अतः वर्गणाओं के भी अनंत भेद होते हैं । लेकिन समास में पुद्गल वर्गणाओं के २३ भेद कहे गये हैं । Jain Education International •४९ परमाणु पुद्गल और पुद्गल परिर्वत एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं साहणणा- भेदाणुवाएण अनंताणंता पोग्गलपरियट्टा समणुगंतव्वा भवतीति मक्खाया ? For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy