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________________ पुद्गल-कोश ३५५ छदमस्थ जीव, छद्मस्थ मनुष्य परमाणु पुद्गल को सर्वभाव से--सर्वप्रकार से नहीं जानता है, नहीं देखता है । टीकाकार ने-यहाँ छद्मस्थ का अर्थ अवधिज्ञान आदि विशिष्ट ज्ञान रहित किया है क्योंकि विशिष्ट अवधिज्ञानी परमाणु आदि को जानता है । कोई एक छद्मस्थ मनुष्य परमाणु पुद्गल को जानता है किन्तु देखता नहीं है तथा कोई एक छद्मस्थ मनुष्य परमाणु पुद्गल को न जानता है, न देखता है । ___ अवधिज्ञानी के अतिरिक्त अन्य छद्मस्थ मनुष्य परमाणु पुद्गल को नहीं देखते हैं। अवधिज्ञानी में भी-परमावधिज्ञानी और उससे कुछ न्यून अधो अवधिज्ञानी परमाणु पुद्गल को देखते हैं । कोई एक आधोऽवधिक ( अवधिज्ञानी) मनुष्य परमाणु पुद्गल को जानता है, किन्तु देखता नहीं है। कोई एक आधोऽवधिक लनुष्य परमाणु पुद्गल को न जानता है, न देखता है। उत्कृष्ट अवधिज्ञानी प्रत्येक परमाणु को जानता है । गोजी. के अनुसार अवधिदर्शन परमाणु से लेकर अंतिम महास्कंध तक के मूर्त पदार्थों को प्रत्यक्ष रूप से देखता है । परमावधिज्ञानी ( मनुष्य ) परमाणु पुद्गल को जिस समय जानता है, उस समय देखता नहीं है और जिस समय देखता है, उस समय जानता नहीं है। क्योंकि परमावधिज्ञानी का ज्ञान साकार (विशेष ग्राहक ) होता है और दर्शन अनाकार ( सामान्य ग्राहक ) होता है। अतः ऐसा कहा गया है कि परमावधिज्ञानी मनुष्य जिस समय परमाणु पुद्गल को जानता है उस समय देखता नहीं है; जिस समय परमाणु पुद्गल को देखता है उस समय जानता नहीं है। केवली परमाणु पुद्गल को जानते हैं और देखते हैं परन्तु जिस समय जानते हैं उस समय देखते नहीं है तथा जिस समय देखते हैं उस समय जानते नहीं हैं क्योंकि केवल ज्ञानी का ज्ञान साकार होता है और दर्शन अनाकार होता है। .४६ परमाणु पुद्गल और विविध अपेक्षा से स्थिति ( मूल पाठ के लिए देखो क्रमांक २१) १ संतति की अपेक्षा परमाणु पुद्गल की स्थिति-संतति प्रवाह अर्थात् अपरापरोत्पत्ति-प्रवाह की अपेक्षा अनादि अनंत होती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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