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________________ पुद्गल-कोश ३३३ द्विप्रदेशी आदि उपरिम वर्गणाओं के भेद से ही एक प्रदेशी परमाणु पुद्गल द्रव्य वर्गणा होती है। क्योंकि सूक्ष्म की स्थूल के भेद से उत्पत्ति देखी जाती है। संघात और भेदसंघात से एक प्रदेशी परमाणु पुदगल द्रव्य वर्गणा की उत्पत्ति नहीं होती है क्योंकि इसके नीचे अन्य वर्गणाओं का अभाव है। .३३ जीव और पुद्गल१ जीव के द्वारा अग्राह्य वर्गणा x x x। एदाओ चत्तारि वि वग्गणाओ अगेज्झाओ। -षट् ० खण्ड ५ । भा ४ । सू ७८ । टीका । पृ० १४ प्रथम परमाणु वर्गणा, दूसरी संख्यात वर्गणा, तीसरी असंख्यात वर्गणा और चौथी अनंत वर्गणा-ये चार प्रकार की वर्गणाएं अग्राह्य है अर्थात् जीव के द्वारा इनका ग्रहण नहीं होता है। '३४ परमाणु पुद्गल को आत्मा [ आया भंते ! सोहम्मे कप्पे पुच्छा। गोयमा ! १ सोहम्मे कप्पे सिय आया, २ सिय णो आया जाव गोआयाइ य। से केण?णं भंते ! जाव आयाति णो आयाइ य? गोयमा ! १ अप्पणो आइट्ट आया, २ परस्स आइ8 णो आया, ३ तदुभयस्स आइ8 अवत्तव्वं आयाइ य णो आयाइ य; से तेणट्टणं तं चेव जाव आयाति य णोआय य । ] आया भंते ! परमाणुपोग्गले, अण्णे परमाणुपोग्गले ? एवं जाव सोहम्मे कप्पे तहा परमाणुपोग्गले वि भाणियवे। -भग० श १२ । उ १० । सू १६ । पृ० ६७३ टीका-xxx। आत्मा भवति स्वपर्यायापेक्षया सतीत्यर्थः। परस्स आइ8 नो आयत्ति। जिस द्रव्य की जो स्वपर्याय हैं वह उसकी आत्मा है, अन्य द्रव्य को पर्याय उसकी अनात्मा है, द्रव्य की स्वपर्याय तथा पर द्रव्य की पर्याय-दोनों का संयुक्त विवेचन किया जाय तो अवक्तव्य है अत: परमाणु पुद्गल कथंचिद् आत्मा ( सद्रूप) है तथा कथंचिद् अनात्मा ( असद्रूप ) है तथा कथंचिद् अवक्तव्य है। परमाणु पुद्गल अपने वर्ण-गंध-रस-स्पर्श की पर्यायों की अपेक्षा आत्मा है तथा अन्य द्रव्यों की पर्यायों Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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