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________________ ३२.१० अशब्दत्व पुद्गल-कोश सव्वेसि खंधाणं जो अंतो तं वियाण परमाणू । सो ससदो असो एक्को अविभागी मूत्तिभवो ॥ टीका - x x x परमाणुरपि शक्तिरूपेण शव्दकारणभूतोपि व्यक्तिरूपेण शब्द पर्यायरूपो न भवतीत्यशब्दः । ३२ ११ परमाणुपुद्गल और पर्यायसंख्या वण्णाभावणंता । ३१७ परमाणुपुद्गल व्यक्तिगतभाव से शब्द नहीं है, अशब्द है । परमाणुपुद्गल को शब्द भी कहा गया है । क्योंकि वह शक्ति रूप से शब्द का कारण माना जाता है, स्कंध के साथ मिलकर परमाणुपुद्गल शब्दपर्याय की उत्पति का कारण माना जाता है । - पंच० श्लो० ७७ Jain Education International - विशेभा० गा १३९६ । उत्तरार्ध टीका - ( परमाणु ) भावतः पुनर्वर्णगंधादिरूपा अनंता पर्यायाः । परमाणुपुद्गल में भाव की अपेक्षा – वर्ण, गंध आदि की अपेक्षा अनंतपर्याय होते हैं । • ३२११ पर्याय संख्या • १ औधिक अपेक्षा परमाणुपोग्गलाणं णंते ! केवइया पज्जवा पन्नत्ता ? गोयमा ! परमाणुपोग्गलाणं अनंता पज्जवा पन्नत्ता । से केणटुणं भंते ! एवं वच्चइ परमाणुपोग्गलाणं अनंता पज्जवा पत्ता ? गोयमा । परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलस्स दव्वट्टयाए तुल्ले, पएसट्टयाए तुल्ले, ओगाहणट्टयाए तुल्ले, ठिईए सिय होणे सिय तुल्ले सिय अन्भहिए- जइ होणे असंखेज्जइभागहीणे वा संखेज्जइभागहीणे वा संखेज्जइगुणहीणे वा असंखेज्जइगुणहीणे वा अह अब्भइए असंखेज्जइभागमब्भहिए वा संखेज्जइभागमब्भहिए वा संखेज्ज For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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