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________________ पुद्गल-कोश ३१५ जयसेन टोका-परमाणुरप्येक प्रदेशेन मंदगत्याऽणोरण्वंतरव्यतिक्रमणलक्षणेन कृत्वा समयरूपव्यवहारकालस्य संख्यायाश्च प्रविभक्ता भेदको भवतीति। ___एक आकाश प्रदेश में स्थित परमाणु पुदगल मंदगति से अनंतर दूसरे आकाश में गमन करता है - इससे समय रूप जो काल परिणाम प्रगट होता है; वह समय रूप व्यवहार काल की संख्या का भेदक होता है। •३२.८ स्कंध का भेदक तथा कर्ता xxx । पदेसदो भेत्ता। खंधाणं पि य कत्ताx x x॥ -पंच० गा ८० जयसेन टोका-परमाणुरप्येकप्रदेशगतनिस्नेहभावेन परिणतः सन् स्कंधानां विघटनकाले भेत्ता भेदको भवति x x x। परमाणुरेकप्रदेशगत. स्निग्धभावेन परिणतः सन् द्वयणुकादिस्कंधानां कर्ता भवति । परमाणु पुद्गल स्कंधों का भेदक भी है तथा कर्ता भी है। परमाणु पुद्गल अपने एक प्रदेश से निस्नेह भाव से परिणत होकर स्कंधों से पृथग हो जाता है तब परमाणु पुद्गल को स्कंथों का भेदक कहा जाता है। परमाणु पुद्गल अपने एक प्रदेश से स्निग्ध भाव से परिणत होकर द्विप्रदेशी आदि स्कंधों के साथ संघात को प्राप्त होता है तब परमाणु पुद्गल को स्कंधों का कर्ता कहा जाता है। ३२.९ देशस्पर्श का अभाव जो सो देसफासो णाम । जं दव्वदेसं देसेणं पुसदि ॥ -षट्० खण्ड ० ५, ३ । सू १७-१८ । पु १३ । पृ० १८-१९ टीका-एगस्स दव्वस्स देसं अवयवं जदि ( देसेण ) अण्णवव्वदेसेणं अप्पणो अवयवेण पुसदि तो देसफासो त्ति दढव्वो। एसो देसफासो खंधा. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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