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________________ २७८ पुद्गल-कोश इसी प्रकार उदगावतं अथवा उदक बिन्दु में प्रवेश कर सकता है परन्तु तत्र स्थित परमाणु पुद्गल विनष्ट नहीं होता है । टीकाकार ते कहा है कि परमाणु में शस्त्र प्रवेश नहीं कर सकता है। यदि परमाणु में शस्त्र प्रवेश मान लिया जाय तो उसके परमाणुत्व की स्थिति नहीं बनती अर्थात् उसमें परमाणुत्व गुण का निरूपण नहीं किया जा सकता है । (ख) छहिं ठाणेहि सव्वजीवाणं णत्थि इड्डीति वा जुत्तीति वा, [ जसेइ वा बलेति वा वौरिएइ वा पुरिसक्कार ] ( जाव ) परक्कमेति वा, तं जहाx x x परमाणुपोग्गलं वा छिदित्तए वा भिदित्तए वा अगणिकातेण वा समोदहित्तते x xx। -ठाण० स्था ६ । सू ४७९ पृ. २६९-७० टीका-'छही' त्यादि, षट्सु स्थानेषु सर्वजीवानां संसारिमुक्तरूपाणां नास्ति ऋद्धिः-विभूतिः, इतीति-एवंप्रकाराx xx परमाणुपुद्गलं वा छेत्तु वा खङ्गादिना द्विधा कृत्व भेत्तुंवा शूच्यादिना वा विध्या छेदादौ परमाणुत्वहानेः अग्निकायेन समयदग्धुमिति सूक्ष्मत्वेन । वाहयत्तस्येति । __ कोई भी जीव अपनी ऋद्धि यावत् पराक्रम आदि से परमाणुपुद्गल के खङ्ग आदि के द्वारा दो विभाग नहीं कर सकते हैं, सूची के द्वारा छेद नहीं सकते हैं, अग्निकाय में जला नहीं सकते हैं क्योंकि परमाणुपुद्गल सूक्ष्म है, अदाय है । २ व्यावहारिक परमाणु का अच्छेद्य-अभेद्यत्व (क) से कि तं वावहारिए ? वावहारिए अणंताणं सुहुमपरमाणुपोग्गलाणं समुदयसमिइसमागमेणं से एगे वावहारिए परमाणुपोग्गले निप्पज्जइ। से णं भंते ! असिधारं वा खुरधारं वा ओगाहेज्जा? हंता ! ओगाहेज्जा। से णं तत्थ छिज्जेज्ज वा ? नो इण? सम?, नो खलु तत्थ सत्थ कमइ। से णं भंते ! अगणिकायस्स मज्झं-मज्झणं वीतीवदेज्जा? हंता! वितीवदेज्जा। से णं तत्थ डहेज्जा ? नो इण? सम?, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ। से णं भंते ! पुक्खलसंवट्टयस्स महामेहस्स मज्झं-मझेणं वीतीवदेज्जा ? हंता! वोतीवदेज्जा। से णं तत्थ उघउल्ले सिया? नो इण? सम8, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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