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________________ २६८ पुद्गल - कोश अणु तथा स्कंध इन दो भेदों में सभी पुद्गल ग्रहण हो जाते हैं, लेकिन इन दो भेदों की जातियों के आधार पर अनंत भेदों को बतलाने के लिए ही संसूचनार्थ बहुवचनों का प्रयोग किया गया है । -५ स्पर्शरसगंधवर्णवतोऽणवः । स्कंधाः पुनः शब्दबंध सौक्ष्म्यस्थौल्यसंस्थानभेदतमश्छायातपोद्योतवंतश्च । — सर्वसि० अ ५ । सू २५ परमाणु स्पर्श, रस, गंध ओर वर्णवान् होता है । शब्द, बंध, सौक्ष्म्य, स्थौल्य, संस्थान, भेद, तप, छाया, आतप, उद्योत – ये सब स्कंध पुद्गल है । • २५ पुद्गल के भेद व उनके उदाहरण '६ चार भेद सुहुमु थूलु थूलु ७ छह भेद थूलु वज्जरइ सुहुमु जोहा सलिलु वीरेण - Jain Education International - थूलु थूलु पुणु धरणी मंडलु । सग्ग - विमाण - पडलु मणि - णिम्मलु ॥ सुहुमई कम्माइयइँ स मई | परिणामइँ ॥ मण - वीरजि० संधि १२ । कड १० भासा वग्गण - - स- मद्दउ ॥ छायाइउ । णिवेइउ ॥ पुद्गल द्रव्य में सूक्ष्म, स्थूल, स्थूलसूक्ष्म और स्थूल स्थूल - ये चार प्रकार पाये जाते है । प्रकाश और छाया - ये पुद्गल द्रव्य स्थूल सूक्ष्म के उदाहरण है । स्थूल का उदाहरण जल है । स्थूल स्थूल का यह धरणी मण्डल, एवं मणियों के समान स्वर्ग विमानपटल सूक्ष्म पुद्गल अपने-अपने नामों वाले नाना कर्मो के रूप में पाया जाता है, तथा मन और भाषा रूप वर्गणायें उसीके परिणमन है । ऐसा भगवान् ने दयापूर्वक कहा है । (क) बादरबादर, बादर, बादरसुहुमंच सुमं च सुहुमसुहमं च धरादियं सुहुमथूलं च । होदि छन्भेयं ॥ For Private & Personal Use Only गोजी ० गा ६०२ www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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