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________________ २१८ पुद्गल-कोश इसी प्रकार द्विप्रदेशी स्कंधों यावत् अनंत प्रदेशी स्कंधों का औधिक विवेचन करने से द्रव्यरूप से उनकी संख्या कदाचित् कृतयुग्म, कदाचित् त्र्योज रूप, कदाचित् द्वापरयुग्म तथा कदाचित् कल्योज रूप होती है तथा विधानादेश से ( व्यक्तिगत रूप से ) विवेचन करने पर द्रव्यरूप से उनकी संख्या केवल कल्योज रूप होती है । '६ पुद्गल अनन्त है x x x जीवा अणंता अजीवा अणंताxxx। --सम० सू १४८ टीका-जीवपुद्गलानामनन्तत्वादनन्ता। पुद्गल द्रव्य की अपेक्षा अनंत है । •७ जाति अपेक्षा से पुद्गल अनंत है जात्याधारानन्तभेवसंसूचनार्थ बहुवचनं ( अणवः स्कन्धाश्च ) क्रियते। -तत्त्व० अ ५ । सू २५ पर राजवातिक टीका । पद ३ यह अनंत पुदगलजाति प्रकार से अनंत प्रकार के हैं । १६ पुद्गलों को पारस्परिक तुलना .१ द्रव्य.क्षेत्र-काल-भाव को अपेक्षा तुलना कइविहे णं भंते ! तुल्लए पन्नत्ते? गोयमा ! छन्विहे तुल्लए पन्नत्ते, तंजहा -दवतुल्लए, खेत्ततुल्लए, कालतुल्लए, भवतुल्लए, संठाणतुल्लए। ___ से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-'दन्वतुल्लए' २ ? गोयमा! परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलस्स दव्वओ तुल्ले, परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलवइरित्तस्स दवमओ णो तुल्ले, दुपएसिए खंधे दुपएसियस्स खंधस्स दव्वओ तुल्ले, दुपएसिए खंधे दुपएसियवइरित्तस्त खंधस्स दव्वओ णो तुल्ले, एवं जाव-बसपएसिए, तुल्लसंखेज्जपएसिए खंधे तुल्लसंखेज्जपएसियस्स, खंधस्स दव्वओ तुल्ले, तुल्लसंखेज्जपएसिए खंधे तुल्लसंखेज्जपएसियवइरित्तस्स खंधस्स बन्यओ णो तुल्ले, एवं तुल्लअसंखेज्जपएसिए वि, एवं तुल्लअणंतपएसिए वि, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ 'दव्वतुल्लए २ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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