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________________ पुद्गल-कोश. १९७ तुल्य है ; स्थिति रूप से चतुःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है ; वर्ण-गंध-रस-स्पर्श ( शीत-उष्ण-स्निग्ध-रूक्ष ) रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है वैसे ही दो प्रदेशावगाढ पुद्गल दो प्रदेशावगाढ पुद्गल से यावत् दस प्रदेशावगाढ पुद्गल से द्रव्य रूप से तुल्य है ; प्रदेश रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है, अवगाहन रूप से चतु:स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है ; वर्ण-गंध-रस-स्पर्श ( शीत-उष्णस्निग्ध-रूक्ष ) रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है। ___संख्यात प्रदेशावगाढ पुद्गलों में अनंत पर्याय होते हैं। संख्यात प्रदेशावगाढ पुदगल संख्यात प्रदेशावगाढ पुदगल से द्रव्य रूप से तुल्य होते हैं। संख्यात प्रदेशावगाढ पुदगल संख्यात प्रदेशावगाढ पुद्गल से प्रदेश रूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित तुल्य है, कदाचित अधिक है। यदि न्यून है तो अनत भाग न्यून है अथवा असंख्यात भाग न्यून है अथवा संख्यात भाग न्यून है, अथवा संख्यात गुण न्यून है अथवा असंख्यात गुण न्यून है अथवा अनंत गुण न्यून है (छःस्थान न्यून ) है। यदि अधिक है तो अनंत भाग अधिक है अथवा असख्यात भाग अधिक है अथवा संख्यात भाग अधिक है अथवा संख्यात गुण अधिक है अथवा असख्यात गुण अधिक है अथवा अनंत गुण अधिक है ( छःहस्थान अधिक ) है । संख्यात प्रदेशावगाढ पुद्गल संख्यात प्रदेशावगाढ पुद्गल से अवगाहन रूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् अधिक है। यदि न्यून है तो संख्यात भाग न्यून है अथवा संख्यात गुण न्यून है ( द्विस्थान न्यून.) है। यदि अधिक है तो संख्यात भाग अधिक है अथवा संख्यात गुण अधिक है (द्विस्थान अधिक ) है । संख्यात प्रदेशावगाढ पुद्गल संख्यात प्रदेशावगाढ पुदगल से स्थिति रूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित तुल्य है, कदाचित् अधिक है। यदि न्यून है तो असंख्यात भाग न्यून है अथवा संख्यात भाग न्यून है अथवा संख्यात गुण न्यून है अथवा असंख्यात गुण न्यून है (चतुःस्थान न्यून ) है। यदि अधिक है तो असंख्यात भाग अधिक है अथवा संख्यात भाग अधिक है अथवा संख्यात गुण अधिक है अथवा असंख्यात गुण अधिक है। (चतु:स्थान अधिक ) है । संख्यात प्रदेशावगाढ पुद्गल संख्यात प्रदेशावगाढ पुद्गल से कृष्णवर्ण पर्याय रूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् अधिक है। यदि न्यून है तो अनंत भाग न्यून है अथवा असंख्यात भाग न्यून है अथवा संख्यात भाग न्यून है अथवा संख्यात गुण न्यून है अथवा असंख्यात गुण न्यून है अथवा अनंत गुण न्यून है (छःस्थान न्यून) है। यदि अधिक है तो अनंत भाग अधिक है अथवा असंख्यात भाग अधिक है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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