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________________ १८२ पुद्गल-कोश जिस प्रकार जघन्य स्थितिवाले पुद्गल जघन्य स्थितिवाले पुद्गल से द्रव्य रूप से तुल्य है ; प्रदेश रूप से तुल्य है ; अवगाहन रूप से चतुःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है ; स्थिति रूप से तुल्य है ; वर्ण-गंध-रस-स्पर्श ( कर्कशादि आठ स्पर्श ) रूप से षट् स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है वैसे ही उत्कृष्ट स्थितिवाले पुद्गल उत्कृष्ट स्थितिवाले पुद्गल से द्रव्य रूप से तुल्य है ; प्रदेश रूप से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है ; अवगाहन रूप से चतुःस्थान न्यूनाधिक है। अथवा तुल्य है ; स्थिति रूप से तुल्य है ; वर्ण-गंध-रस-स्पर्श ( कर्कशादि आठ स्पर्श ) रूप से षट् स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है। इसी प्रकार अजघन्य-अनुत्कृष्ट स्थितिवाले पुद्गल अजघन्य-अनुत्कृष्ट स्थितिवाले पुद्गल से द्रव्य रूप से तुल्य है ; प्रदेश रूप से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है ; अवगाहत रूप से चतुःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है, वर्ण-गंध-रस-स्पर्श रूप से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है लेकिन स्थिति रूप से चतुःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है। अजघन्य अनुत्कृष्ट ( मध्यम ) स्थितिवाले पुद्गलों में अनंत पर्याय होते हैं । अजघन्य-अनुत्कृष्ट स्थितिवाले पुद्गल अजघन्य-अनुत्कृष्ट स्थिति वाले पुद्गल से द्रव्य रूप से तुल्य होते हैं। अजघन्य-अनुत्कृष्ट स्थितियाले पुद्गल अजघन्य-अनुत्कृष्ट स्थितिवाले पुद्गल से प्रदेश रूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित अधिक है। यदि न्यून है तो षट्स्थान न्यून है। यदि अधिक है तो षट्स्थान अधिक है। अजधन्य-अनुत्कृष्ट स्थितिवाले पुद्गल अजघन्य अनुत्कृष्ट स्थितिवाले पुद्गल से अवगाहन रूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् अधिक है। यदि न्यून है तो चतु:स्थान न्यून है। यदि अधिक है तो चतुःस्थान अधिक है। अजघन्य-अनुत्कृष्ट स्थितिवाले पुद्गल अजघन्य-अनुत्कृष्ट स्थितिवाले पुद्गल से स्थिति रूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित तुल्य है, कदाचित् अधिक है। यदि न्यून है तो चतु:स्थान न्यून है। यदि अधिक है तो चतुःस्थान अधिक है। ___अजघन्य-अनुत्कृष्ट स्थितिवाले पुद्गल अजघन्य-अनुत्कृष्ट स्थितिवाले पुद्गल से कृष्णवर्ण पर्याय रूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् अधिक है । यदि न्यून है तो षट्स्थान न्यून है। यदि अधिक है तो षट्स्थान अधिक है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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