SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 266
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७४ पुद्गल-कोश •२ पुद्गल और सादि पारिणामिक भाव से कि तं सादिपारिणामिए ? सादिपारिणामिए अणेगविहे पन्नत्ते, तंजा - xxx । परमाणुपोग्गले, दुपदेसिए जाव अनंतपदेसिए । - अणुमो० सू २४९ । पृ० १११२-३ टीका - पुद्गलानामसंख्येयकाला दूर्ध्वतः स्थित्यभावात्सादिपरिणाम तेति । परमाणुपुद्गल, द्विप्रदेशौ स्कंध यावत् अनंतप्रदेशी स्कंध में स्थिति की अपेक्षा सादिपारिणामिक भाव होता है । परमाणु, द्विप्रदेशी स्कंध यावत् अनंतप्रदेशौ स्कंध की स्थिति उत्कृष्ट असंख्यात - काल से अधिक नहीं होती है अतः इनमें सादिपारिणामिक भाव कहा गया है । •३ पुद्गल और उदय पारिणामिक भाव (क) उदयपरिणामिए पुग्गला उ सव्वेसु पुण जीवा । -कर्म० भा १ । गा १५ । गाथा का उत्तरार्धं । टीका में उद्धृत (ख) पोग्गलदव्वेसु ओदइय-पारिणामियाणं दोन्हं चेव भावाणमुवलंभा x x x | पोग्गलदव्वभावा पुणकम्मोदएण विस्ससादो व उप्पज्जंति x x x । - षट्० खं• २, ७ । गा १ । टीका । पु ५ । पृ० १८६, ८८ पुद्गल द्रव्य में उदय और पारिणामिक — दोनों भाव होते हैं । पुद्गल द्रव्य के भाव कर्मों के उदय से अथवा विस्रसा - स्वभाव से उत्पन्न होते हैं । (ग) उदयपरिणामिरूपं तु सर्वभावानुगा जीवाः । - प्रशम० श्लो २०९ । उत्तराधं टीका - पुद्गलद्रव्यं पुनरौदयिके भावे भवति पारिणामिके च । परमाणुः परमाणुरिति अनादिपारिणामिको भावः । आदिमत्पारिणामिकस्तु द्रघण कादिरभेन्द्रधनुरादिश्च । वर्णरसादिपारिणामिक परमाणूनां स्कंधानां चौदयिको भावः द्वणुकादिसंहतिपरिणामश्चेति । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy