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________________ १६० पुद्गल-कोश शरीर के पुद्गलों का तीव्रता से हिलना-डुलना, (१०) देह में व्याप्त वायु से प्रेरित होकर अथवा बाह्य वायु से पुद्गलों का उत्क्षिप्त होना। .१२.०७.०४ सकंपता-निष्कंपता __ परमाणुपोग्गले णं भते ! कि सेए निरेए ? गोयमा ! सिय सेए, सिय निरेए । एवं जाव -अणंतपएसिए। __परमाणुपोग्गला णं भंते ! कि सेया, निरेया ? गोयमा ! सेया वि निरेया वि । एवं जाव अणंतपएसिया। परमाणुपोग्गले णं भंते ! कि देसेए, सव्वेए, निरेए ? गोयमा! नो देसेए, सिय सव्वेए, सिय निरेए। दुप्पएसिए णं भंते ! खंधे-पुच्छा। गोयमा ! सिय देसेए, सिय सव्वेए, सिय निरेए । एवं जाव अणंतपएसिए। परमाणुपोग्गला णं भंते ! कि देसेया, सम्वेया, निरेया ? गोयमा ! नो देसेया, सव्वेया वि मिरेया वि। दुप्पएसिया णं भंते ! खंधा-पुच्छा। गोयमा ! देसेया वि, सव्वेया वि, निरेया वि। एवं जाव अणंतपएसिया। -भग• श २५ । उ ४ । सू ८८, ८९; १०१ से १०४ परमाणु पुद्गल, द्विप्रदेशी स्कंध यावत् अनंतप्रदेशी स्कंध कदाचित् सकंप होते हैं; कदाचित् निष्कंप होते हैं। परमाणु पुदगल (बहुवचन), द्विप्रदेशौ स्कंध यावत् अनंतप्रदेशी स्कंध (बहुवचन) सकंप भी होते हैं तथा निष्कंप भी होते हैं । परमाणु पुद्गल का देशरूप से कंपन नहीं होता है; यदि कंपन होता है तो सर्वांशरूप से होता है; यदि निष्कंप होता है तो सर्वांशरूप से होता है। द्विप्रदेशी स्कंध यावत् अनंतप्रदेशी स्कंध का (१) कदाचित् देश रूप से कंपन होता है, (२) कदाचित् सर्वांशरूप से कंपन होता है तथा (३) कदाचित् निष्कप होता है। परमाणु पुद्गलों, बहुवचन ) में किसी एक का देश रूप से कंपन नहीं होता है। यदि कपन है तो सर्वांशरूप से होता है। परमाणु पुद्गलों में कंपन और निष्कप की भजना है-कोई कंपन करता है, कोई निष्कंप रहता है। द्विप्रदेशी स्कंध (बहुवचन ) यावत् अनंतप्रदेशी स्कंध ( बहुवचन ) का देशरूप से भी कंपन होता है; सर्वांशरूप से भी कंपन होता है; निष्कंप भी रहते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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