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________________ पुद्गल-कोश टीका - यदा द्रव्यं पूर्वपर्यायेण विनश्यति, अपूर्वपर्यायेण तत्पद्यतेः तदा पूर्व पर्यायात् प्राक्तनभावाद् द्रव्यस्य निर्गतत्वाद् भावाद् निर्गमो भावनिर्गम इत्युच्यते । तथा रूपादयो भावाः पुद्गलद्रव्यात्, कषाय-ज्ञानादयश्च जीवाद् निर्गच्छन्ति, प्रभवन्तीति भावानां निर्गमो भावनिर्गम उच्यते । १३२ (ठ) उप्पादट्ठिदिभंगा पोग्गलजीवप्पगस्स लोगस्स । परिणामादो जायंते संघादादो च भेदादो ॥ - प्रव० अ २ । गा ३७ । पृ० १८१ टीका -- क्रियाभाववत्त्वेन केवलभाववत्त्वेन च द्रव्यस्यास्ति विशेषः । तत्र भाववन्तौ क्रियावन्तौ च पुद्गलजीवौ परिणामाद्भ ेदसंघाताभ्यां चोत्पद्यमानावतिष्ठमानभज्यमानत्वात् । शेषद्रव्याणि तु भाववन्त्येव परिणामादेवोत्पद्यमानावतिष्ठमानभज्यमानत्वादिति निश्चयः । तत्र परिणाममात्रलक्षणो भावः, परिस्पंदनलक्षणा क्रिया । तत्र सर्वाण्यपि द्रव्याणि परिणामस्वभावत्वात् परिणामेनोपात्तान्वयव्यतिरेकाण्यवतिष्ठ मानोत्पद्यमानभज्यमानानि भाववन्ति भवंति । पुद्गलास्तु परिस्पंदनस्वभावत्वात् परिस्पंदेन भिन्नाः संघातेन संहताः पुनर्भेदेनोत्पद्यमानावतिष्ठमानभज्यमानाः क्रियावन्तश्च भवन्ति । तथा जीवा अपि परिस्पंदनस्वभावत्वात्परिस्पदेन नूतनकर्मनो कर्मपुद्गलेभ्यो भिन्नास्तैः सह संघातेन संहताः पुनभदेनोत्पद्यमानावतिष्ठमानभज्यमानाः क्रियावंतश्च भवन्ति । द्रव्य उत्पाद व्यय - ध्रौव्य युक्त होता है । द्रव्य के दो भेद हैं- चेतन और अचेतन । वे अपनी जाति को भी नहीं छोड़ते फिर भी उनमें अंतरंग और बहिरंग निमित्त के वश से प्रतिसमय जो नवीन अवस्था की प्राप्ति होती है उसे उत्पाद कहते हैं, यथा-मिट्टी के पिंड का घट पर्याय । पूर्व अवस्था के त्याग को व्यय कहते हैं, जैसे—घट की उत्पत्ति होने पर पिंड रूप आकार का त्याग । अनादिपारिणामिक स्वभाव से द्रव्य का व्यय नहीं होता है, किन्तु वह 'ध्र ुवति' अर्थात् स्थिर रहता है अतः उसे ध्रुव कहते हैं तथा इस ध्रुव का भाव या कर्म ध्रौव्य कहलाता है, यथा-मिट्टी के पिंड और घट - दोनों अवस्थाओं में मृदूपता का अन्वय है | इस प्रकार अन्य द्रव्यों की तरह पुद्गल भी उत्पाद-व्ययधौव्य स्वभाव युक्त होता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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