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________________ पुद्गल-कोश एकनभःप्रदेशव्यापिनोऽप्रदेशाः पुद्गला भवन्ति २ कालत एकसमयस्थितयोऽप्रदेशाः पुद्गला भवन्तीति ३ । परमाणु पुद्गल परस्पर असंपृक्त रहने के कारण द्रव्य की अपेक्षा अप्रदेशी होते हैं, एक आकाशप्रदेश में स्थित पुद्गल क्षेत्र की अपेक्षा अप्रदेशी होते हैं तथा एक समय की स्थितिवाले पुद्गल काल की अपेक्षा अप्रदेशी होते हैं। भावेणं अपएसा एगगुणा जे हवंति वण्णाई। ते च्चिय थोवा जं गुणबाहुल्लं पायसो दल्वे ॥३॥ अभयदेवसूरि टीका-वर्णादिभिरित्यर्थः। द्रव्ये प्रायेण द्वयादिगुणा अनन्तगुणान्ताः कालकत्वादयो भवन्ति । एकगुणकालकत्वादयस्तु अल्पा इति भावः। रत्नसिंहसूरि टीका-भावत एकगुणाः “वण्णाई' इति वर्णादिभिः पुद्गला अप्रदेशा भवन्ति ४ अयमर्थः-एकगुणकालकैकगुणपोतकादयो वर्णतः, एकगुणसुरभिप्रभृतयो गन्धतः एकगुणतक्तप्रभृतयो रसतः, एकगुणरूक्षेकगुणस्निग्धप्रभृतयः स्पर्शतश्च पुद्गला भावाप्रदेशा भवन्तीत्यर्थः । त एव योवा' इति सर्वस्तोकाः। यतो द्रव्ये प्रायशो गुणाः प्राचुर्येण भवन्तिः अयमर्थः-द्रव्ये प्रायेण द्वयादिगुणा अनन्तगुणान्ताः कालत्वादयः स्थानबाहुल्यादनन्तगुणा भवन्ति । एकगुणकालकत्वादयस्त्वेककस्थानत्तित्वेनाल्पा इति भावः। वर्ण-गंध-रस-स्पर्श आदि गुणों की अपेक्षा जो पुद्गल एक गुणवाले होते हैं वे भाव की अपेक्षा अप्रदेशी होते हैं अर्थात् एक गुण काले वर्णवाले ; एक गुण नीले वर्णवाले आदि वर्ण की अपेक्षा ; एक गुण सुगन्धवाले अथवा एक गुण दुर्गन्धवाले– गंध की अपेक्षा ; एक गुण तिक्त रस वाले, एक गुण कटु रस वाले आदि रस की अपेक्षा ; एक गुण रूक्षत्व वाले, एक गुण स्निग्धत्व वाले आदि स्पर्श की अपेक्षापुदगल भाव की अपेक्षा अप्रदेशी होते हैं। भाव की अपेक्षा अप्रदेशी पुद्गल सबसे अल्प होते हैं क्योंकि द्रव्य में गुणों का बाहुल्य होता है। द्वयादि गुण से लेकर अनंत गुण कालापनादि पुद्गल स्थानबाहुल्य से अनंतगुणे होते हैं और एक गुणवाले का एक ही स्थान होता है, अतः भाव की अपेक्षा अप्रदेशी पुद्गल सबसे अल्प होते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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