SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 151
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पुद्गल-कोश .०७.२.५ परमाणुपुद्गल तथा नोपरमाणुपुद्गल (स्कंध ) (क) दुविहा पोग्गला पन्नत्ता, तंजहा–परमाणुपोग्गला चेव नोपरमाणुपोग्गला चेव । टीका-परमाश्च ते अणवश्वेति परमाणवः, नोपरमाणव:- स्कंधाः । -ठाण० स्था २ । उ ३ । सू ८२ । पृ० १९२ (ख) ( पुद्गलाः) अणवः स्कंधाश्च । x x x तत्राणवोऽबद्धाः स्कंधास्तु बद्धा एवेति । -तत्व० अ ५ । सू २५ (ग) अणुखंधवियप्पेण दु, पोग्गलदव्वं हवेइ दुवियप्पा। -नियम० अ २ । गा २० पूर्वाधं . पुद्गल के दो भेद होते हैं, यथा-परमाणुपुद्गल तथा नोपरमाणुपुद्गल (स्कंध)।। जो अत्यन्त सूक्ष्म होता है उसे परमाणु-अणुपुद्गल कहते हैं और स्कंधों को नोपरमाणुपुद्गल कहते हैं। परमाणु अबद्ध होते हैं तथा स्कंध बद्ध होते हैं । .०७ २.६ सूक्ष्म पुद्गल तथा बादर पुद्गल दुविहा पोग्गला पन्नत्ता, तंजहा-सुहमा चेव बायरा चेव । -ठाण० स्था २ । उ ३ । सू ८२ । पृ० १९२ पुद्गल दो प्रकार के होते हैं, यथा-सूक्ष्मपुद्गल तथा बादरपुद्गल । टीका–सूक्ष्माः येषां सूक्ष्मपरिणामः शीतोष्णस्निग्धरूक्षलक्षणाश्चत्वार एवं च स्पर्शास्ते च भाषादयः, बादरास्तु येषां बादरः परिणामः पंचादयश्च स्पर्शास्ते चौवारिकादयः। जिसका सूक्ष्मपरिणाम है तथा शीत-उष्ण-स्निग्ध-रूक्ष लक्षणविशिष्ट चार ही स्पर्शवाला है वह सूक्ष्म पुद्गल है, यथा-भाषादि (चार) वर्गणा के पुद्गल सूक्ष्म हैं और जिसका बादर परिणाम है तथा पाँच आदि स्पर्शवाला है वह बादर पुद्गल है । औदारिकादि वर्गणा के पुद्गल बादर हैं । •०७.२७ बद्धपावस्पृष्ट पुद्गल तथा नोबद्धपार्श्वस्पृष्ट पुद्गल दुविहा पोग्गला पन्नत्ता, तंजहा-बद्धपासपुट्ठा चेव नोबद्धपासपुट्ठा चेव। -ठाण० स्था २ । उ ३ । सू ८२ । पृ० १९२ ths Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy