SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( 12 ) आशीर्वचन आचार्य श्री तुलसी की सन्निधि में आगम-सम्पादन की योजना बनी। उसमें अनेक कार्यों के साथ एक कार्य था आगमों का विषयीकरण । इस कार्य का दायित्व मोहनलालजी बांठिया ने संभाला। वे पूरी निष्ठा के साथ इस कार्य में जुट गये । श्रीचंदजी चोरडिया का सहयोग उनके लिए मणि-कांचन जैसा हो गया। अन्य अनेक कार्यकर्ता इस प्रवृत्ति के सहयोगी बन गए। पुद्गल कोश से पूर्व वर्धमान कोश, लेश्मा कोश, क्रिया कोश, योग कोश आदि अनेक कोश प्रकाश में आ चुके हैं। उनकी उपयोगिता भी सर्वत्र प्रमाणित हो चुकी है। पुद्गल जैन आगम साहित्य का बहुत बड़ा विषय है। परमाणु और स्कंध--- इन दोनों पर शत-शत दृष्टियों से विचार किया गया है। उसका कोश जैन दर्शन के अध्येता के लिए बहुत उपयोगी होगा। तुलनात्मक दृष्टि से अध्ययन करने वालों के लिए एक अमूल्य निधि के रूप में उपयोगनीय होगा। इसमें श्वेताम्बर-दिगम्बर दोनों परम्पराओं के ग्रन्थों का सार संकलित है। उपयोगिता और अधिक बढ़ गई है। श्रीचन्दजी चोरडिया की संकलनात्मक और नियोजनात्मक मेधा उत्तरोत्तर बढती रहे। इससे जैन-दर्शन की बहुत प्रभावना होगी। आचार्य महाप्रज्ञ आध्यात्म साधना केन्द्र महरोली, नई दिल्ली-११० ०३. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy