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________________ ( २ ) पाली के 'योग' शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत 'योग' शब्द के अनुसार ही समझनी चाहिए । ०१.०३ संस्कृत में 'योग' शब्द की व्युत्पत्ति रूप – योग पद - संज्ञा लिंग - पुल्लिंग धातु - Vयुज् > युनक्ति, युङ्क्ते योग शब्द युज् धातु से तीन प्रकार से निष्पन्न हो सकता है—मावे, कर्मणि तथा करणे भावे - युज् धातु से 'योजनं योगः' ( युज् + घञ् ) । कर्मणि - युज्यते ( कर्मणि घञ् ) - धावनबल्गनादिक्रियासु षापर्यंत इति योगः । करणे - युज्यते - सम्बध्यते धावनबल्गनादि क्रियासु जीवोऽनेनेति 'पुंनाम्नि घः' (हेम० ५।३।१३० ) ०२ विभिन्न भाषाओं में 'जोग' शब्द के विभिन्न अर्थ -०२.०१ प्राकृत भाषा में 'जोग' शब्द के अर्थ (क) संज्ञा - सामान्य अर्थ सम्बन्ध, संयोग, मेलन; ईप्सित वस्तु का लाभ ( पाइअ ० ) (ख) विशेषाथ -वश करने के लिए या पागल आदि बनाने के लिए फेंका जाता चूर्ण - विशेष ( पाइअ ० ) (ग) व्याकरण - शब्द का अवयवार्थ सम्बन्ध ( पाइअ० ) (घ) पारिभाषिक अर्थ - धर्म दर्शन -- मन, वचन, शरीर का व्यापार ; मनः प्रणिधान, चित्त-निरोध समाधि ; बल, वीर्य, पराक्रम ; ( पाइअ० ) विज्ञान वशीकरण - ते तं धणकणगरयणनिचयं पिंडिता XXX जोगजुंजणाओ xxx पडिबंधो अत्थि सव्वजीवाणं सव्वलोए । टीका - x x x विविधांश्च योग- योजनान् प्रयोगान् परिग्रहवशीकरणार्थ शिक्षन्ति । - पण्हा श्र १| अ५ । सू १६ ७ बहु-प्रकारांश्च वशीकरण सम्बन्ध - मणसाणं पण्णरसविहे पओगे पण्णत्ते तंजहा x x x 1 Jain Education International For Private & Personal Use Only -- सम० सम १५/सू ७ www.jainelibrary.org
SR No.016028
Book TitleYoga kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1993
Total Pages428
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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