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________________ ( ३०४ ) गग्भवक्कंतिय पंचेन्दियतिरिषख जोणिया Xxx परिसप्पा Xx x भुजपरिसप्पाए जहा उरपरिसप्पा | भुजपरिसर्प गर्भज तिर्यंच पंचेन्द्रिय में तीन योग होते हैं । मनयोग, वचनयोग व काययोग । . ३ खेचर गर्भज तिर्यच पंचेन्द्रिय में Torariतिय पंचेंदियतिरिक्खजोणिया xxx खहयश xxx जहा जलयराणं । - जीवा० प्रति १ । २ । सू १२५ खेचर गर्भज तिर्यंच पंचेन्द्रिय में तीन योग होते हैं - मनोयोग वचनयोग तथा काययोग | .३० मनुष्य में • १ संमुच्छिम मनुष्य में समुच्छिम मणुस्साणं पुच्छा XXX जहा पुढचिकाइयाणं । मि मनुष्य में काययोग होता है । में - जीवा० प्रति १ । २ । सू १२१ होते हैं । थलचरा × × × •२ गर्भज मनुष्य ( गव्भवक्कंतिय मणुस्सा ) मणजोगि वि, बहकायजोगि वि अजोगी वि । - जीबा० प्रति १ । २ । सु १३३ • ३१ औधिक देव में गर्भज मनुष्य मनोयोगी भी, वचनयोगी भी व काययोगी भी होते हैं । अयोगी भी ( देवा ) तिविहेजोगे । - जीवा० प्रति १ । २ । सू १२८ देवों में तीन योग होते हैं - मनोयोग, वचनयोग व काययोग | Jain Education International - जीवा० प्रति १ । ५ । सू १३५-१३६ * ३२ गुणस्थान के अनुसार जीवों में *३२ १ (क) प्रथम गुणस्थान के जीवों में तेरह योग ( आहारककाय आहारकमिश्र काययोग को बाद देकर ) (देखें क्रमांक ५६ ) होते हैं । (ख) द्वितीय गुणस्थानके जीवों में तेरह योग (आहारक व आहारक मिश्र काययोग को बाद देकर ) ( देखें क्रमांक ५६ ) होते हैं । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016028
Book TitleYoga kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1993
Total Pages428
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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