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________________ -२१ वनस्पतिकाय में .१ सूक्ष्म वनस्पतिकाय में (सुहुम घणस्सइकाइया ) अवसेसं जहा पुढविक्काइयाणं । -जीवा० प्रति १।२। सू ६७ सूक्ष्म वनस्पतिकाय के जीव काययोगी होते हैं । .२ बादर घनस्पतिकाय में ( बादर वणस्सइकाइया) तहेव जाव बादर पुढविक्काइयाणं। -जीवा प्रति १।२। सू७४ बादर वनस्पतिकाय के जीव काययोगी होते हैं । .२२ तेउकाय में .१ ( सुहुम तेउक्काइया ) जहा सुहुम पुढविकाइयाणं -जीवा० प्रति १।२ । सू७७ .२ (बादर तेउक्काइया) सेसं तंचेव । -जीवा० प्रति १।२ । सू ७६ सूक्ष्म तेउकायके जीव काययोगी होते है। बादर तेउकायके जीव काययोगी होते है । .२३ षायुकाय में .१ (सुहुम पाउकाइया) जहा तेउक्काइया। .२ ( बादर घाउकाइया) सेसं तं चेव (मुहुम पाउकाइया) -जीवा. प्रति०१।२ । सू८०,८२ सूक्ष्म वायुकाय के जीव काययोगी होते है। बादर वायुकाय के जीव काययोगी होते हैं । .२४ द्वीन्द्रिय में (वेई दिया ) नो मणजोगी, वइजोगी, कायजोगी। -जीवा० प्रति १ । २ । सू८७ द्वीन्द्रिय के जीव मनोयोगी नहीं होते हैं, वचनयोगी व काययोगी होते है। .२५ त्रीन्द्रिय में (तेइंदिया ) तहेव जाव वेइ दियाणं -जीवा० प्रति १ । २ । सू८९ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.016028
Book TitleYoga kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1993
Total Pages428
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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