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________________ ( २६६ ) faraकि कंदुकण्ह कउडसुमहुपयलइ महुसिंगिणिसहारुष्पसुगंधछिण्ण रुहा atree हाणं एएसिं णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति एवं मूलदीया दस उद्देस सगा कायव्वा वंसवग्गसरिसा । -भग० श २३ व १ आलुक, मूल, आदु, हलदी, सस, कण्डरिक, जीरु, क्षीरविराली, किट्टी, कुन्दु, कृष्ण, कडसु, मधु, पयलइ, मधुसिंगी, निरुहा, सर्प सुगंधा, छिन्नरुहा, बीजरुहा इनके मूल यावत् बीज में काययोगी होते हैं । • १५ लोही आदि वनस्पति काय में अह भंते ! लोही णीहू थीहू थिभगा अस्सकण्णी सोहकण्णी सीउ ढी संढी पसि णं जे जीवा मूलत्ताए बक्कमंति एवं एत्थवि दस उद्देसगा जहेच आलुयवग्गा । -- भग० श २३ । व १ लोही, नीहू, थी, थिभगा, अश्वकर्णी, सिंहकर्णी, सीउद्धी, मुसुंदी, इनके मूल यावत बीज के जीव काययोगी होते हैं । .१६ आय आदि वनस्पति काय में अह भंते ! आय काय कहुणा कुंदुरुक्क उव्वेहलिय सफासजा छत्तावंसाणिय कुमाराणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए एवं एत्थषि मूलादीया दस उद्देगा निरवसेसं जहा आलुवग्गो । - भग० श २३ । व ३ आय, काय, कुहुणा, कुन्दुरुक्क उव्वेहलिय, सफा, सेज्जा, छत्रा, वंशानिका, कुमारी इनके मूल यावत् बीज काययोगी होते हैं । -१५.१७ पाठा आदि वनस्पति काय में अह भंते! पाढामिय वालुंकिमहुररसा रासवल्लिय उमामोंढरिदति चंडीणं एएसि णं जे जीवा मूल एवं एत्थवि मूलादीया दस उद्देसगा आलुयवग्गसरिसा । - भग० श २३ । व ४ पाठा, मृगवालुंकी, मधुररसा, राजवल्ली, पद्मा, मोढकी, दंती, चंदी इनके मूल यावत वीज में काययोगी होते हैं । . १८ अह भंते ! मासवण्णी मुग्गपण्णी जीवगसरिसवकरेणुय काओलिखीरकाकोलि भंगिणहि किमिरासि भद्दमुच्छणंगलइ पओय किंणापडलपाढेहरेणुया लोहीणं एएसि णं जे जीबा मूल० एवं एत्थवि दस उद्देसगा निरवसेसं आलुयषग्गसरिसा | - भग० श २३ । व ५. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016028
Book TitleYoga kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1993
Total Pages428
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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